नई दिल्ली: उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट के नतीजे का ऐलान सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है। कोर्ट ने बताया है कि हरीश रावत के पक्ष में 33 विधायक थे और बीजेपी के पक्ष में 28 विधायकों ने अपना मत दिया। कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने पैर पीछे खींचते हुए कहा कि राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा। इसी के साथ मामले का पूरा निपटारा हो गया है। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई आगे भी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रपति शासन हटाने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति शासन हटने के बाद हरीश रावत बतौर मुख्यमंत्री काम कर सकते हैं।केंद्रीय कैबिनेट ने एक बैठक कर यह फैसला लिया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है। वेंकैया नायडू ने मीडिया को सूचित किया कि यह फैसला ले लिया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी और बीएसपी विधायक सरवत अंसारी को राज्य सरकार में मंत्री पद दिया जा सकता है। उत्तराखंड पर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है। उम्मीद करता हूं कि उन्हें सबक मिल गया होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की हत्या ये देश बर्दाश्त नहीं कर पाएगा। कोर्ट के आदेश बाद देहरादून में कांग्रेस कार्यालय पर जश्न का माहौल है। बताया जा रहा है कि हरीश रावत कुछ देर बाद बीजापुर गेस्ट हाउस में मीडिया को संबोधित करेंगे। कल ही सूत्रों ने बता दिया था कांग्रेस ने फ्लोर टेस्ट में बाज़ी मार ली है। फ्लोर टेस्ट के बाद हरीश रावत ने कहा था कि अंदर क्या हुआ इस पर कोई कॉमेंट नहीं करुंगा लेकिन अनिश्चितता के बादल जल्द ही हट जाएंगे।
बीजेपी विधायकों ने कांग्रेस पर विधायकों को जुटाने के लिए धनबल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में सच की जीत हुई है। कोर्ट में आज बागी विधायक शैला रानी रावत की याचिका पर भी आज कोर्ट सुनवाई करेगी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि 27 मार्च को राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था। उसी दिन स्पीकर ने 9 विधायकों को अयोग्य करार दिया था। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगने पर स्पीकर ऐसा कदम नहीं उठा सकता और उनके पास यह अधिकार नहीं था। स्पीकर का यह आदेश गलत था। रावत की दलील है कि राष्ट्रपति शासन के बाद स्पीकर अयोग्य करने का फ़ैसला नहीं ले सकता।