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नई दिल्ली: राज्यसभा की आचार समिति द्वारा अपने निष्कासन की सिफारिश किए जाने से एक दिन पहले निर्दलीय सांसद और शराब उद्योगपति विजय माल्या ने सोमवार को उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में माल्या ने कहा है कि वह नहीं चाहते कि उनके नाम और छवि की और अधिक मिट्टी पलीद हो। माल्या ने लिखा- मुझे न्याय मिलने की उम्मीद नहीं उन्होंने लंदन से भेजे अपने पत्र में कहा, '...और चूंकि हालिया घटनाक्रम से जाहिर होता है कि मुझे निष्पक्ष सुनवाई या न्याय नहीं मिलेगा, इसलिए मैं राज्यसभा की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।' उन्होंने राज्यसभा की आचार समिति के अध्यक्ष कर्ण सिंह द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने सिंह को जवाब दे दिया है। यह राज्यसभा में माल्या का दूसरा कार्यकाल है और यह 1 जुलाई को समाप्त होने वाला था। मामले पर गौर करने वाली उच्च सदन की आचार समिति ने 25 अप्रैल की अपनी बैठक में आमराय से फैसला किया कि माल्या को अब सदन का सदस्य नहीं रहना चाहिए और यह 3 मई की अगली बैठक में उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश करने की योजना बना रही थी।

पिछले दिनों विजय माल्या ने कहा था कि उन्हें भारत छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है और तत्काल भारत लौटने की उनकी कोई योजना नहीं है। लंदन में रह रहे 60 वर्षीय माल्या ने कहा कि वह एक देशभक्त भारतीय रहे हैं और हमेशा भारतीय झंडे को ऊंचा रखने में गर्व महसूस करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ जो चीख-पुकार चल रही है उसमें वह ब्रिटेन में सुरक्षित पड़े रहना पसंद कर रहे हैं और फिलहाल भारत लौटने की उनकी योजना नहीं है। गौरतलब है कि करोड़ों रुपये के लोन मामले में भारत ने औपचारिक रूप से ब्रिटेन से विजय माल्या को प्रत्यर्पित करने का आग्रह किया है। चमकदमक वाली जीवनशैली जीने के लिए मशहूर माल्‍या पिछले माह 2 मार्च को लंदन भाग गए थे। इसके बाद से इन्‍होंने भारत लौटकर जांच और बैंकों का सामना करने के आदेश को नजरअंदाज किया है।

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