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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: मोदी सरकार को दो साल पूरे होने वाले हैं और इस बीच शनिवार को एक ताजा सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब आधे प्रतिभागी (49 प्रतिशत) अपने जीवनस्तर में कोई बदलाव महसूस नहीं करते, वहीं अन्य 15 प्रतिशत को लगता है कि हालात दरअसल बदतर हो गये हैं। मीडिया अध्ययन केंद्र (सीएमएस) के सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि बड़ी संख्या में (43 प्रतिशत) लोगों का मानना है कि मोदी सरकार के कार्यक्रमों और योजनाओं से गरीब जनता को लाभ नहीं हो रहा। उसी समय मोदी सरकार के दो साल के कामकाज प्रदर्शन का आकलन करने पर पता चला कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कामकाज को बड़ी संख्या में लोगों ने पसंद किया है जिनकी संख्या 62 फीसदी है और करीब 70 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि वे पांच साल के पहले कार्यकाल के बाद भी प्रधानमंत्री बने रहें। 15 राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में करीब 4000 प्रतिभागियों के बीच सर्वेक्षण कराया गया जिसमें यह बात सामने आई कि एक तिहाई से कम प्रतिभागियों को लगता है कि प्रधानमंत्री ने वादे पूरे किये हैं वहीं 48 फीसदी मानते हैं कि वादे आंशिक रूप से पूरे किये गये हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘क्या लोगों का जीवनस्तर दो साल पहले की तुलना में आज बेहतर हुआ है तो करीब आधे (49 प्रतिशत) को लगता है कि कोई बदलाव नहीं हुआ है वहीं 15 प्रतिशत मानते हैं कि हालात या स्थितियां बदतर हो गयी हैं।’

यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सर्वेक्षण के नतीजे घोषित करते हुए लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी. कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत छवि उजली बनी हुई और बड़ी संख्या में लोग उनके कामकाज को पसंद कर रहे हैं। दुनियाभर में भारत की स्थिति सुधारने और घरेलू स्तर पर प्रशासन सुधारने में मोदी के प्रयासों को सर्वेक्षण में शामिल अधिकतर लोगों ने पसंद किया। सीएमएस के महानिदेशक पी.एन. वसंती ने कहा, ‘राजग सरकार की योजनाओं की सामान्य तौर पर जहां सराहना की गयी वहीं बढ़ती कीमतें और बेरोजगारी को लेकर जमीनी स्तर पर चिंता बनी हुई है।’ केंद्र सरकार की जो नाकामियां इस सर्वेक्षण में गिनाई गयीं उनमें 32 प्रतिशत ने महंगाई का जिक्र किया, उसके बाद 29 फीसदी लोग रोजगार नहीं दे पाने से नाखुश दिखे और काला धन वापस नहीं ला पाने की बात पर 26 प्रतिशत ने अपनी बात रखी। सर्वेक्षण में गिनाई गयीं बड़ी उपलब्धियों में जन धन योजना (36 प्रतिशत), स्वच्छ भारत मिशन (32 प्रतिशत) और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लाने के प्रयास (23 प्रतिशत) का जिक्र हुआ। अलग अलग मंत्रालयों के आकलन में रेल मंत्रालय सर्वश्रेष्ठ आंका गया। प्रतिभागियों ने इसके बाद वित्त और विदेश मंत्रालय के कामकाज पर संतोष प्रकट किया। केंद्रीय मंत्रियों को पसंद करने के मामले में सबसे ज्यादा मत सुषमा स्वराज को मिले। इसके बाद राजनाथ सिंह, सुरेश प्रभु, मनोहर पर्रिकर और अरूण जेटली को लोगों ने पसंदीदा मंत्री बताया।

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