पोर्ट मोर्सबी: महात्मा गांधी की शिक्षा आज के समय में भी प्रासंगिक है जहां ‘असहिष्णुता और चरमपंथ’ बढ़ रहा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां यह बात कही जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व और परस्पर सम्मान की याद दिलाई। पापुआ न्यू गिनी विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति के दृष्टिकोण और उपदेश ‘मानवता को सौहार्दपूर्ण सह अस्तित्व और परस्पर सम्मान के सच्चे मूल्यों की याद दिलाते हैं और समानता तथा सभी की स्वतंत्रता के लिए मिलकर काम करने की जरूरत बताते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के प्रतीक के तौर पर सम्मान दिया जाता है..एक ऐसी दुनिया में जहां असहिष्णुता और चरमपंथ बढ़ रहा है, महान व्यक्ति की जिंदगी और संदेश सच्चाई और वैश्विक भाईचारे का प्रेरणादायक उदाहरण है।’ पीएनजी की यात्रा पर गए पहले भारतीय राष्ट्रपति मुखर्जी ने दौरे को ‘ऐतिहासिक’ बताया। विश्वविद्यालय परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा भी है जो 1997 में लगाई गई थी और राष्ट्रपति ने भाषण देने से पहले वहां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा, ‘गांधीजी ने शिक्षा को संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए समन्वित रूख बताया था। वह सीखने और सच्ची शिक्षा, जानकारी और वास्तविक ज्ञान के बीच अंतर तथा वास्तविक ज्ञान तथा साक्षरता और वास्तविक सीख के बीच अंतर को लेकर स्पष्ट थे।’ उन्होंने कहा, ‘भारत में हम इन सिद्धांतों का पालन करने का प्रयास करते हैं क्योंकि हम शिक्षा के क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को हमारी राष्ट्रीय योजना और मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों के माध्यम से लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।’