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नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार को बताया कि पिछले साल में दो करोड़ से अधिक मुकदमों का निस्तारण किये जाने के बावजूद देश के 24 उच्च न्यायालयों एवं निचली अदालतों में तीन करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। सरकार द्वारा यह ताजे आंकड़े ऐसे समय में दिये गये जबकि भारत के प्रधान न्यायाधीश ने रविवार को कहा था कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर 15 न्यायाधीश हैं जबकि विधि आयोग ने करीब 30 साल पहले इस अनुपात को बढ़ाकर प्रति दस लाख लोगों पर 50 न्यायाधीश करने की सिफारिश की थी। कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया कि 31 दिसंबर 2015 तक उच्च न्यायालयों में 38.70 लाख मामले लंबित थे जबकि जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में 2.70 करोड़ मामले लंबित थे। उन्होंने मामलों के निस्तारण का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2015 में उच्च न्यायालयों ने 1580911 मामले निस्तारित किये जबकि निचली अदालतों में ऐसे मामलों की संख्या 17897488 रही।

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