नई दिल्ली: मंत्रियों के एक अनौपचारिक समूह ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से करीब 14 लाख नयी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) खरीदने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। समझा जाता है कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले इस मंत्रिसमूह ने ईवीएम खरीदने के समर्थन वाली अपनी सिफारिश प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस बैठक के ब्यौरे को मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के पास भेज दिया गया है। इसे मंजूरी मिलने पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल नयी ईवीएम खरीदने के प्रस्ताव पर विचार करेगा।’ उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने करीब 14 लाख नयी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें खरीदने के लिए पिछले साल सरकार से आग्रह किया था। इस साल 18 जनवरी को हुई बैठक में वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव की अध्यक्षता वाली व्यय वित्त समिति ने वित्त वर्ष 2015-16 और 2018-19 के बीच 5,511.48 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 13,95,648 नयी मतदान इकाइयां और 9,30,432 नियंत्रण इकाइयां खरीदने को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की। सरकारी सूत्रों ने कहा कि नये ईवीएम के लिए 2016-17 में अनुमानित 1,872 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, लेकिन अंतिम आंकड़े चुनाव आयोग द्वारा निविदा जारी करने पर उपलब्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि नौ लाख से अधिक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें वर्तमान में उपयोग में लाई जा रही हैं जिनका 15 साल का जीवनकाल समाप्त होने के करीब है।
दो सार्वजनिक उपक्रम- बेंगलुरू स्थित भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, बेंगलुरू और हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन आफ इंडिया एक बार में इन नयी मशीनों को तैयार करने की स्थिति में नहीं होंगी और वे आयोग को कई खेपों में इन्हें उपलब्ध कराएंगी। चुनाव आयोग कई खेपों में मिलने वाली इन मशीनों का इस्तेमाल आगामी विधानसभा चुनावों में कर सकता है और तब तक अगले लोकसभा चुनाव निकट होंगे जिसके मद्देनजर इनकी आपूर्ति पूरी कर ली जाएगी। कानून मंत्रालय को भेजे एक प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने कहा था कि मौजूदा समय में इस्तेमाल की जा रहीं 9,30,430 इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें 2015-16 और 2019-20 के बीच ‘चलन से बाहर’ हो जाएंगी।