नई दिल्ली: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस सदस्यों ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिससे उच्च सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुयी और अंतत: बिना कोई महत्वपूर्ण विधायी कार्य निबटाए बैठक को चार बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस सदस्य उत्तराखंड में अपनी पार्टी की सरकार को बर्खास्त किए जाने के संबंध में अपने प्रस्ताव पर चर्चा और इससे संबंधित एक संकल्प पारित करने की मांग कर रहे थे जिसे सरकार ने नामंजूर कर दिया। हंगामे की वजह से सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी ने नियम 267 के तहत कामकाज स्थगित करने और लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए अनुच्छेद 356 के दुरूपयोग के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। उन्होंने सरकार पर अधिकारों का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 267 और नियम 176 में किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए कोई शर्त नहीं है।
जहां तक अदालत में विचाराधीन मुद्दे की बात है तो पहले कई बार ऐसे मुद्दों पर सदन में चर्चा की जा चुकी है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सवाल किया कि कांग्रेस क्या सचमुच चर्चा चाहती है या उसका सदन की कार्यवाही को बाधित करने का इरादा है। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि वह अदालत में विचारधीन मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं करने के सरकार के तर्क से सहमत नहीं हैं और आसन को इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए सदन की राय लेनी चाहिए। बसपा की मायावती ने कहा कि अनुच्छेद 356 का प्रावधान जिस उद्देश्य के लिए किया गया है उसके तहत उसका उपयोग नहीं किया गया बल्कि राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए इसका दुरूपयोग किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने वाली सरकार अक्सर राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करने के लिए अनुच्छेद 356 का दुरूपयोग करती है और इसीलिए इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए। वित्त मंत्री और सदन के नेता अरूण जेटली द्वारा चर्चा से इंकार किए जाने पर कांग्रेस सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए। जेटली ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा पर ही चर्चा हो सकती है और जब इस विषय पर चर्चा होगी तब सदस्य अपनी बात रख सकते हैं। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को सही बताते हुए जेटली ने कहा कि उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था उस समय ठप हो गई जब विधानसभा में पीठासीन अधिकारी ने 67 सदस्यों में से 35 विधायकों द्वारा विनियोग विधेयक के विरोध को नजरअंदाज कर दिया और अल्पमत को बहुमत में बदल दिया गया ताकि विनियोग विधेयक को पारित घोषित किया जा सके। उन्होंने कहा विनियोग विधेयक के विरोध में 35 सदस्यों के मतदान करने के बावजूद पीठासीन अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंच गए कि विनियोग विधेयक पारित हो गया। आजाद भारत के 68 साल के इतिहास में ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। उत्तराखंड में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी।’’ उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि आसन चर्चा कराने के पक्ष में है और सदस्यों को इसके लिए नोटिस देना चाहिए। बहरहाल, सदन में व्यवस्था नहीं बनते देख उन्होंने बैठक को 11 बज कर 35 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। सदन की बैठक जब 12 बजे शुरू हुई तब भी वही नजारा था। सभापति हामिद अंसारी ने पहले आधे घंटे के लिए फिर दोपहर दो बजे तक के लिए बैठक स्थगित कर दी।