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नई दिल्ली: सूखे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार एक हफ्ते में मनरेगा के तहत राज्य सरकारों को 11030 करोड़ देगी। इसमें से 7983 करोड़ रुपये की रकम वह है जो राज्यों के बकाया हैं। 2723 करोड़ रुपये 10 सूखा पीड़ित राज्यों में मनरेगा के तहत काम करने वाले मज़दूरों के लिए हैं ताकि उनको 50 दिन का और कामकाज मिले। बताया गया है कि 2014-15 में मनरेगा के तहत काम करने वाले 27% लोगों को फौरन पैसा अदा कर दिया गया था। साथ ही 2015-16 में मनरेगा के तहत काम करने वाले 45 फीसदी लोगों को फौरन पैसा दे दिया गया। सूखे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा, क्या ये गंभीरता है जो आप इस मुद्दे पर दिखा रहे है। हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जो सूखे की वजह जान गंवा रहे हैं। हम हरियाणा में पिकनिक या रोडवेज में सवारी की बात नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब हरियाणा सरकार की ओर से सूखे पर जवाब दिया गया जिसमें आधी-अधूरी जानकारी थी और डाटा भी नहीं थे। अदालत ने गुजरात सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा, जब सितंबर में पता लग गया था कि सूखे के हालात हो सकते हैं तो आपने अब 1 अप्रैल को सूखा क्यों घोषित किया।

आप बता सकते हैं कि इस दौरान लोगों के साथ क्या हुआ होगा। इस पर गुजरात सरकार ने कहा कि ये देरी स्थानीय चुनाव की वजह से हुई। इस पर अदालन ने दो टूक लहजे में कहा कि अगर चुनाव होंगे तो क्या सारा काम बंद हो जाएगा। आपकी लापरवाही की वजह से ये हालात हुए क्योंकि राज्य की रिपोर्ट के बाद ही केंद्र टीम भेज सकती है। आप छह महीने बाद सूखा घोषित करेंगे तो कैसे होगा। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 1 अप्रैल 2016 को उसने 526 गांव में सूखाग्रस्त घोषित किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को गुरुवार को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब सूखे के मुद्दे पर सुनवाई में उसके वकील करीब 15 मिनट देर से पहुंचे। जजों ने इसके लिए सरकार की खिंचाई करते हुए हुए कहा, 'इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कुछ गंभीरता दिखाइए।' जजों ने यह नाराजगी उस समय जताई जब केंद्र ने इस मसले पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा क्‍योंकि सुनवाई के लिए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल का कोर्ट में आने का इंतजार किया जा रहा था। गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सूखा राहत को लेकर किए गए उपायों की जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार को गुरुवार तक का वक्‍त दिया था। जजों ने कहा, 'लगता है यह आपकी प्राथमिकता नहीं है। क्या हम अनुपयोगी लोग हैं। दो जज यहां बैठे है। क्‍या आप हमसे यह उम्मीद करते हैं कि हम कुछ नहीं करें, टाइम के गुजरने का इंतजार करते हुए केवल घड़ी को देखते रहें। ' कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें सूखे से प्रभावित राज्‍यों में किसानों को राहत पहुंचाने की मांग की गई है।

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