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नई दिल्ली: पाकिस्तानी मीडिया में खबरें आयी हैं कि पठानकोट आतंकवादी हमले को अंजाम देने की साजिश भारत ने ही रची थी। इस रुख को भारत में पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान की ‘दोमुंही बात’ के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘पाकिस्तान के सरकार समर्थक एक दैनिक की खबर से केवल यही पता चलता है कि आईएसआई एवं पाकिस्तानी सेना दोमुंही बात कर रहे हैं। भारत ने पाकिस्तानी संयुक्त जांच दल (जेआईटी) को यहां उसके दौरे के समय पाक स्थित आतंकवादियों के शामिल होने के बारे में अकाट्य सबूत दिये थे।’ दैनिक ‘पाकिस्तान टुडे’ में प्रकाशित खबर में अनाम जेआईटी सदस्य के हवाले से कहा गया है कि यह हमला कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार है तथा भारतीय अधिकारियों के पास उनके दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं है। खबर में कहा गया, ‘हमले के कुछ ही घंटे बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने सभी हमलावरों को मार गिराया था। बहरहाल, भारतीय अधिकारियों ने इसे तीन दिन का नाटक बना दिया ताकि पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए विश्व समुदाय का अधिकतम ध्यान आकृष्ट किया जा सके।’

इस खबर को खारिज करते हुए एक अन्य सरकारी सूत्र ने बताया कि जेआईटी को मुहैया कराये गये सबूत अंतरराष्ट्रीय समीक्षा का सामना कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया में आयी इन खबरों पर हैरत जतायी कि एनआईए ने दौरा करने वाली टीम को पर्याप्त सबूत मुहैया नहीं कराये। सूत्र ने कहा, ‘जेआईटी ने जो भी मांगा था, वह उसे मुहैया करा दिया गया था। इनमें गवाहों के बयानों की प्रमाणित प्रति, चार आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट, उनके पास से बरामद सामग्रियों की सूची शामिल है।’ पाकिस्तान ने अपने देश की अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत एनआईए से साक्ष्य साझा करने का अनुरोध किया था। सूत्र ने कहा कि पुलिस अधीक्षक सलविन्दर सिंह और उनके मित्र आभूषण कारोबारी राजेश वर्मा से छीने गए दो फोन के काल डाटा रिकार्ड को जेआईटी के साथ साझा किया गया है। इन्हीं मोबाइल नंबरों से आतंकवादियों ने पाकिस्तान में एक नंबर पर बातचीत की थी। भारत ने नसीर हुसैन एवं उसकी मां खय्याम बब्बर के बीच रिकार्ड की गयी बातचीत को साझा किया है। नसीर उन चार आतंकवादियों में शामिल था जिसने एक एवं दो जनवरी के बीच की रात में भारतीय वायुसेना ठिकाने पर हमला किया था। एनआईए ने नसीर के परिवार से उसके डीएनए का नमूना मांगा था। एजेंसी ने भारतीय वायुसेना ठिकाने के भीतर से आतंकवादियों की काशिफ जान सहित उनके आकाओं से हुई बातचीत की रिकार्डिंग भी सौंपी है। उसके बाद से काशिफ लापता है। पाकिस्तानी जेआईटी ने एनआईए से चारों आतंकवादियों से जुडी चीजें मांगी हैं। इन आतंकवादियों की पहचान नासिर हुसैन (पंजाब प्रांत), अबु बकर (गुजरांवाला), उमर फारूक एवं अब्दुल कय्यूम (सिंध) के रूप में हुई है। सूत्रों ने बताया कि बहरहाल, एनआईए ने पाकिस्तानी टीम को आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट सौंपी और कहा कि वे उनके परिवार के सदस्यों से इसका मिलान करें। पाकिस्तानी जेआईटी पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद ताहिर राय की अगुवाई में भारत आयी थी और उसमें आईएसआई के लेफ्टिनेंट कर्नल तनवीर अहमद भी शामिल थे। जेआईटी ने 16 लोगों के बयान दर्ज किए। पाकिस्तानी दल ने उन गवाहों की सूची एनआईए को सौंपी थी, जिसके बयान उसे दर्ज करने थे। जिन 16 गवाहों से पूछताछ की गयी उनमें सिंह, वर्मा एवं सिंह का रसोइया मदन गोपाल शामिल है। इन तीनों को पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से संबंधित आतकवादियों ने 31 दिसंबर एवं एक जनवरी के बीच अगवा किया था। बाद में इन्हीं आतंकवादियों ने पठानकोट हमले को अंजाम दिया। आतंकवादियों ने कथित रूप से वर्मा का गला काटकर उसे फेंक दिया और सिंह एवं गोपाल को अपने साथ ही रखा। खतरे की आशंका को भांपते हुए उन्होंने इन दोनों को पठानकोट के वायु ठिकाने से कुछ किलोमीटर पहले छोड़ दिया था। इसके बाद आतंकवादी वायुसेना ठिकाने के भीतर एक जनवरी एवं दो जनवरी के बीच की रात को घुसे और उन्होंने दुस्साहसी हमला किया। बाद में हुई भीषण मुठभेड़ में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए जबकि चार आतंकवादी मारे गये।

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