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देहरादून: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने पर मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि 'यह लोकतंत्र की हत्या है।' रावत ने कहा कि 'मेरी संपत्ति की जांच कर लीजिए। हरक रावत की संपत्ति की जांच कर लीजिए। हरक सिंह रावत मेरे लिए बोझ थे।' रावत ने आज प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी में विद्रोह करवाने के लिए भाजपा को दोषी ठहराते हुए कहा कि 'केंद्र सरकार देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को समाप्त करने पर तुली है।' रावत ने यहां एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा, 'उत्तराखंड में जिस तरह से पूरा राजनीतिक ड्रामा सामने आया है, वह इस बात का सबूत है कि भाजपा ने एक लोकतांत्रिक सरकार को गिराने की साजिश की।' उन्होंने कहा कि जब राज्य विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था तब भाजपा के प्रमुख नेता राज्य में डेरा डाले हुए थे। वहीं, राज्य विधानसभा में 18 मार्च को हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और पूर्व कृषि मंत्री हरक सिंह रावत सहित कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता आज समाप्त कर दी गई।

विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने इस बात की घोषणा करते हुए बताया कि कांग्रेस की मुख्य सचेतक इंदिरा ह्रदयेश की तरफ से दल-बदल कानून के तहत मिली याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद उन्होंने नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लिया है। विधानसभा की सदस्यता खोने वालों में बहुगुणा और रावत के अलावा केदारनाथ की विधायक शैलारानी रावत, रामनगर की विधायक अमृता रावत, जसपुर के विधायक डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल, रायपुर के उमेश शर्मा काउ, नरेंद्र नगर के सुबोध उनियाल, खानपुर के कुंवर प्रण्ब सिंह चैंपियन और रूडकी के प्रदीप बत्रा शामिल हैं। बहुगुणा सितारगंज से और हरक सिह रावत रूद्रप्रयाग से विधायक थे। वहीं, कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को आज 'लोकतंत्र की हत्या' और 'असंवैधानिक' करार दिया तथा कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार चुनी हुई सरकारों को गिराने पर उतारू है। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उत्तराखंड में पार्टी की सरकार को हटाए जाने के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा, 'यह लोकतंत्र की हत्या है।' उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि भाजपा लोकतंत्र में भरोसा नहीं रखती। कांग्रेस के बागी नेता विजय बहुगुणा ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्‍त किया जाना चाहिए क्योंकि वह 'भ्रष्टाचार' में लिप्त है। पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति शासन ज्यादा दिन नहीं रहेगा और राज्य में नये चुनाव होंगे। राज्य में राष्ट्रपति शासल लगाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं इसका स्वागत करता हूं.. यह अच्छा कदम है।' उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से पहले का घटनाक्रम 'लोकतंत्र की हत्या' रही और इस मामले में स्पीकर की भूमिका की भी आलोचना की। दरअसल, केन्द्र ने रविवार को 'शासन की नाकामी' के आधार पर उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस में दरार के बीच राजनीतिक संकट पैदा होने के बाद यह विवादित फैसला किया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केन्द्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत उद्घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बर्खास्त किया और विधानसभा को निलंबित कर दिया।

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