नई दिल्ली: उत्तरांखड में लंबी सियासी उठापटक के बाद आखिरकार राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल विधानसभा भंग नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक तनाव के हालात देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि कल हरीश रावत सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार सुबह संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत इस उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये। फिलहाल विधानसभा को निलंबित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार रात हुई केंद्रीय कैबिनेट की आपात बैठक में असम में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की गई। इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री अपने असम दौरे को बीच में छोड़कर यहां आए थे। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार देर रात राष्ट्रपति को इस बारे में जानकारी दी। इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर धमकी देने और हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम जनता के बीच जाएंगे। जब रावत से पूछा गया कि जनता के बीच जाने का क्या मतलब निकालें तो रावत ने मीडिया से कहा, 'इसका मतलब आप निकाल लीजिए।'
रावत ने पत्रकारों से कहा था, 'भाजपा लगातार धमकी दे रही है। एक छोटे से सीमांत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बात कही जा रही है। राज्यपाल को हटाने की भी मांग की जा रही है। मैं इसे लोकतंत्र और संविधान की हत्या के रूप में देखता हूं। केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने उत्तराखंड में दल-बदल करवाया है और सरकार गिराने का कुत्सित प्रयास किया है।' रावत ने कहा, 'मैं राज्य की जनता से अपील करना चाहता हूं कि वे इन सब बातों को देखें। अगर कोई धमकी देता है तो ये धमकी अर्थपूर्ण हो जाती है। आप सरकार बदलना चाहते हैं। यानी आप जनता नहीं पैसे पर विश्वास कर रहे हैं। आप धनबल से राज्य की राजनीति को प्रभावित करेंगे। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।' रावत ने कहा, 'जिस कथित स्टिंग को विश्वसनीय बताया जा रहा है, मैं बताना चाहता हूं कि 50 साल तक उत्तराखंड की खाक छानी हैं। 'करोड़ों लोगों से संवाद किया है। 24-25 साल से विधायिका में जनता के मुद्दों को उठाता रहा हूं। एक स्टिंग से मेरी छवि वो लोग खराब कर रहे हैं जिनपर खुद धोखाधड़ी का आरोप लगा है। वो किस तरह के लोग हैं, उनका भी डीएनए जांचने की जरूरत है।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'मेरा डीएनए उत्तराखंड की जनता का डीएनए है। उसे दूसरों की तरह आयातित नहीं किया गया है। इस मामले को लेकर हम जनता तक जाएंगे।