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इस्लामाबाद: भारत-पाकिस्तान संबंधों में तल्खी के बीच प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और पड़ोसी देशों एवं रणनीतिक साझेदारों के साथ अपने देश के संबंधों की समीक्षा की। शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में यकीन करता है और उनके साथ मजबूत एवं परस्पर लाभकारी संबंध स्थापित करने को आशावान है। आधिकारिक बयान के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री आवास पर उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और पड़ोसी देशों एवं रणनीतिक साझेदारों के साथ पाकिस्तान के संबंधों की समीक्षा की। शरीफ ने इस बैठक के दौरान कहा, ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, परस्पर लाभकारी और आर्थिक रूप से एकीकृत क्षेत्र हमारा लक्ष्य होना चाहिए और हमें इस लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। यह तभी संभव हो सकता है जब हम शांति, प्रगति एवं समृद्धि की अपनी अकांक्षाओं को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं।’ उनका यह बयान उस वक्त आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तल्खी आ गई है। शरीफ ने कहा, ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) क्षेत्रीय संपर्क और साझा समृद्धि के हमारे प्रयास का आधार है।’

वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद इशाक डार से फोन पर सिन्धु जल संधि के मुद्दे पर बातचीत की और दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों को अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए मिलकर काम करने को कहा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं पुष्टि कर सकता हूं कि केरी ने 29 दिसंबर को पाकिस्तान के वित्त मंत्री डार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि हालांकि मैं इसके बारे में विस्तार से नहीं बता सकता हूं। किर्बी ने कहा कि सिन्धु जल संधि पिछले पचास साल से भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण सहयोग के मानक के तौर पर लागू है। हम भारत और पाकिस्तान को अपने मतभेद मिलकर सुलझाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हम पहले भी ऐसा करते रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और पाकिस्तान को मदद देने संबंधी सवाल का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जैसा मैंने कहा, हम भारत और पाकिस्तान को आपसी मतभेद सुलझाने के लिए द्विपक्षीय सहयोग के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। किर्बी ने कहा कि हम इस विस्तृत मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान की सरकारों के नियमित संपर्क में हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले पाकिस्तान ने सिन्धु जल संधि के क्रियान्वयन को लेकर अमेरिका की मदद मांगी थी।

बीजिंग: चीन ने ‘अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों’ की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए तिब्बत में सीमा नियम कड़े कर दिये हैं और पहले से मौजूद कड़े नियमों का बंदरगाहों, व्यापारिक क्षेत्रों एवं पर्यटन स्थलों तक विस्तार कर दिया है। यह कदम इस सुदूर हिमालय क्षेत्र को दक्षिण एशिया का व्यापारिक केंद्र बनाने की कोशिश के तहत उठाया गया है। सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने कल खबर दी कि रविवार के नये विनियम के तहत निर्धारित सीमा क्षेत्रों में अब बंदरगाह, व्यापारिक क्षेत्र और प्राकृतिक सौंदर्य स्थल शामिल हो गए हैं, इस तरह वर्ष 2000 से प्रभावी पुराने नियमों का दायरा बढ़ा दिया गया है। इस अखबार ने तिब्बत सीमा पुलिस के उपप्रमुख बाद्रो के हवाले से बताया कि तिब्बत तीव्र आर्थिक विकास के साथ और खुल रहा है, इस बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में और विवाद, अलगाववाद, अवैध प्रवासन और आतंकवाद जैसी विविध आपराधिक गतिविधियां सामने आयी हैं। अखबार ने तिब्बत एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेस (टीएएसएस) के थियोरेटिकल मार्क्सिज्म इंस्टीट्यूट के उपनिदेशक वांग चुनहुआन का हवाला दिया है जिन्होंने संशोधन का समर्थन किया और नियमों में अद्यतन बातों का क्या मतलब है, समझाया।

वाशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर वादा करते हुए लिखा है कि उत्तर कोरिया कोई भी ऐसा परमाणु मिसाइल नहीं बनाएगा जो अमेरिकी क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम हो। ट्रंप का बयान उत्तर कोरिया नेता किम जोंग-उन के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने ट्रंप पर एक तरह से दबाव बनाते हुए घोषणा की थी कि उनका देश अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के निर्माण के अंतिम चरण में पहुंच गया है। ट्रंप ने कल शाम ट्वीट करके कहा, ‘उत्तर कोरिया ने हाल ही में कहा है कि वह अमेरिका के हिस्सों तक पहुंचने में सक्षम होने वाला परमाणु हथियार बनाने की दिशा में अंतिम चरण में है।’ उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘यह नहीं हो पाएगा।’’ हालांकि वाशिंगटन ने लगातार संकल्प जताया है कि वह उत्तर कोरिया को परमाणु देश के रूप में कभी भी स्वीकार नहीं करेगा। ट्रंप ने इससे पहले कभी भी साफ तौर पर उत्तर कोरिया को लेकर अपनी नीति जाहिर नहीं की थी। इससे पहले पिछले महीने ट्रंप ने ट्वीट करके कहा था कि अमेरिका को अपनी परमाणु क्षमताओं को मजबूत बनाना चाहिए और उनका विस्तार करना चाहिए। ट्रंप ने यह कहकर पिछले महीने एक तरह से शीत युद्ध शुरू करने का प्रयास किया। इसके अलावा नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने चीन पर भी सैन्य विस्तारवाद और मुद्रा में हेरफेर का आरोप लगाया है। लेकिन अमेरिका को उत्तर कोरिया के साथ बढ़ते टकराव को रोकने के लिए बीजिंग की जरूरत पड़ेगी।

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