ताज़ा खबरें
संसद में अडानी के मुद्दे पर हंगामा, राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित
संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा:अब तक 4 लोगों की मौत
निज्जर हत्याकांड: कनाडा में चार भारतीयों के खिलाफ सीधे होगा ट्रायल
हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

वाशिंगटन: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूनिवर्सिटी एडमिशन में नस्ल और जातीयता के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे दशकों सकारात्मक भेदभाव कही जाने वाली पुरानी प्रथा को बड़ा झटका लगा है। फैसले से अफ्रीकी-अमेरिकियों व अन्य अल्पसंख्यकों को शिक्षा के अवसरों के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने बहुमत की राय में लिखा, "छात्र के साथ एक व्यक्ति के रूप में उसके अनुभवों के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए, नस्ल के आधार पर नहीं।" कोर्ट के फैसले पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, ''इसने हमें यह दिखाने का मौका दिया कि हम मेज पर एक सीट से कहीं अधिक योग्य हैं।''

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी किसी आवेदक के व्यक्तिगत अनुभव पर विचार करने के लिए स्वतंत्र है, चाहे, उदाहरण के लिए अपने आवेदन को अकादमिक रूप से अधिक योग्य आवेदकों से अधिक महत्व देते हुए वे नस्लवाद का अनुभव करते हुए बड़े हुए हों।

वाशिंगटन: वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर सबरीना सिद्दीकी को इस समय ऑनलाइन काफी ट्रोल किया जा रहा है। यह वहीं रिपोर्टर है, जिन्होंने पिछले हफ्ते जो बाइडन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में सवाल किया था।

इसके अलावा, सिद्दीकी ने पीएम मोदी से उनकी सरकार द्वारा उन्हें सुधारने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाने को लेकर भी पूछा था। अमेरिकी पत्रकार के ऑनलाइन ट्रोल करने को लेकर व्हाइट हाउस ने निंदा की है और इसे 'पूरी तरह से अस्वीकार्य' बताया है।

संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन बाद, रिपोर्टर सिद्दीकी पर कुछ लोगों ने आरोप लगाया और उसे 'पाकिस्तानी इस्लामवादी' कहा।

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी ने इसकी निंदा की और एक बयान जारी कर कहा, 'हम अपने पत्रकार के साथ हुए उत्पीड़न की रिपोर्टों से अवगत हैं।

काहिरा: अमेरिका के तीन दिवसीय राजकीय दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर शनिवार (24 जून) को मिस्र पहुंचे। यात्रा के दूसरे दिन यानी रविवार (25 जून) को उन्हें राजधानी काहिरा में मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान से नवाजा गया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने पीएम मोदी को 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' पुरस्कार से सम्मानित किया।

बता दें कि 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान है। मिस्र के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय बैठक से पहले पीएम मोदी को प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया। दोनों नेताओं ने अपनी मुलाकात के दौरान महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन किए।

अल-हकीम मस्जिद का किया दौरा

यह 13वां ऐसा सर्वोच्च राजकीय सम्मान है जो पिछले 9 वर्षों में दुनियाभर के विभिन्न देशों ने पीएम मोदी को दिया है। इससे पहले यहां प्रधानमंत्री ने काहिरा में देश की 11वीं शताब्दी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया, जिसे भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से बहाल किया गया है।

काहिरा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को काहिरा में स्थित मिस्र की 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल.हाकिम मस्जिद का दौरा किया। इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है। मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन मोदी मस्जिद पहुंचे, जिसका जीर्णोद्धार करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है। मस्जिद में मुख्य रूप से जुमे (शुक्रवार) और दिन की सभी पांच 'फर्ज़' नमाज होती हैं।

प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया। मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था। अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है। मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है। मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने पहले कहा था कि भारत में बस गए बोहरा समुदाय का संबंध फातिमिया से है। उन्होंने कहा था कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख