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अमरावती: आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयुक्त एन रमेश कुमार को अध्यादेश के जरिए पद से हटा दिया। आंध्र की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इसके लिए 'आंध्र प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1994' में संशोधन करते हुए एसईसी यानी राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया। पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव गोपाल कृष्ण द्विवेदी ने अध्यादेश की जानकारी देते हुए कहा कि इसके संशोधन के तहत एन रमेश कुमार का कार्यकाल 10 अप्रैल 2020 को खत्‍म हो गया। वाईएसआर कांग्रेस की सरकार और रमेश कुमार के बीच महीनों चले विवाद के बाद यह कदम उठाया गया है।

दरअसल, कोरोना वायरस प्रकोप के चलते राज्य चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय निकाय चुनाव को छह हफ्ते के लिये टाल दिया था, जिसके बाद विवाद गहरा गया था। मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और रमेश कुमार के बीच मामला उस वक्त और गरमा गया जब, 21 और 23 मार्च को शेड्यूल ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव को चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस का हवाला देकर स्थगति कर दिया था।

हैदराबाद: देश में कोरोना वायरस के मामलों में पिछले कुछ दिनों से काफी तेजी आई है और इनमें से अधिकतर वो लोग हैं जिन्होंने दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित धार्मिक समारोह में शिरकत की थी। लेकिन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी इन सबसे बिल्कुल अलग राय रखते हैं। शनिवार की शाम टेलीविजन पर अपील में जगन रेड्डी ने कहा कि देश में कोविड-19 के फैलने के लिए किसी एक धार्मिक समारोह को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है क्योंकि कुछ ऐसी ही बैठकें अन्य धर्मों के आयोजन में भी हुई होंगी।

उन्होंने कहा, “हमारे राज्यों से कुछ कुछ लोग दिल्ली में एक धार्मिक समारोह में शिरकत करने गए जहां पर विदेश के लोग भी आए हुए थे। ऐसा कहा गया कि उनमें से कुछ लोग संक्रमित थे और ये वायरस वहां से फैला है। वहां से जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। इसका मतलब यह नहीं है कि बीमारी फैलने के लिए उसी समारोह को जिम्मेदार ठहरा देना चाहिए।” जगन ने आगे कहा, “धार्मिक आयोजन अन्य जगहों पर भी रवि शंकर, जग्गी वासुदेव, माता अमृतानंदमयी, पॉल दिनकरण और जॉन वेल्से की तरफ से किया जा रहा है।

अमरावती: आंध्र प्रदेश विधानसभा ने राज्य विधान परिषद समाप्त करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कल विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया। विधानसभ अध्यक्ष तम्मिनेनि सीताराम ने घोषणा की कि प्रस्ताव 133 सदस्यों के समर्थन से स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने व्यापक विचार विमर्श के बाद परिषद भंग करने का प्रस्ताव पारित किया है। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी अब यह प्रस्ताव आवश्यक कार्यवाही के लिए केंद्र को भेजा जाएगा। विपक्षी तेलुगुदेशम पार्टी के बहुमत वाले ऊपरी सदन में वाईएसआर कांग्रेस सरकार के तीन राजधानियों से संबंधित अपने दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने में विफल होने के बाद यह कदम उठाया गया है।

माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस दूसरी योजना पर भी काम कर रही है जिसमें विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के विधान पार्षदों को अपने पाले पर करना भी शामिल है। पार्टी पहले ही तेदेपा के दो विधान पार्षदों को तोड़ चुकी है।

अमरावती: आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने विधान परिषद खत्म करने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। सोमवार सुबह हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया। एएनआई को वाईएसआरसीपी के विधायक गुडीवाड़ा अमरनाथ ने बताया कि आंध्र प्रदेश कैबिनेट ने विधान परिषद को खत्म करने के फैसले को मंजूरी दी है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी पहले ही उच्च सदन की जरूरत पर सवाल उठा चुके हैं। राज्य विधानसभा का विस्तारित शीत कालीन सत्र सोमवार को दोबारा शुरू हो रहा है। 17 दिसंबर से जारी राजनीतिक गतिरोध के मद्देनजर कैबिनेट ने विधान परिषद को खत्म करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है।

माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस दूसरी योजना पर भी काम कर रही है जिसमें विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के विधान पार्षदों को अपने पाले पर करना भी शामिल है। पार्टी पहले ही तेदेपा के दो विधान पार्षदों को तोड़ चुकी है। अगर यथास्थिति बनी रही तो वाईएसआर कांग्रेस विधान परिषद में 2021 में ही बहुमत हासिल कर सकती है जब विपक्ष के कई सदस्य छह वर्षीय कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होंगे।

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