नई दिल्ली: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की बेंच ने मध्यस्थता समिति को 25 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट के आधार पर फैसला करेंगे। कोर्ट ने कहा कि हमने तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति को 15 अगस्त तक का समय दिया है। इससे पहले सुनवाई के लिए अदालत पहुंचे वादी पक्ष के वरिष्ठ वकील के पारासरन ने कहा कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को लेकर जल्दी एक तारीख चाहते हैं जिसमें मामले की सुनवाई हो सके। क्योंकि जो मध्यस्थता समिति बनाई गई है उससे अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। इसलिए अदालत को अब सुनवाई की तारीख देनी चाहिए।
वहीं मुस्लिम प्रतिवादियों के पक्ष के वरिष्ठ वकील डॉ राजीव धवन ने कहा यह समय मध्यस्थता समिति की आलोचना करने का नहीं है। दोनों पक्ष की बात सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हमने में मध्यस्थता समिति का गठन किया है तो हमें उसकी रिपोर्ट का भी इंतजार करना पड़ेगा। तो अब समिति को इस पर अपनी रिपोर्ट सौंपने दीजिए।
सुप्रीम कोर्ट ने समिति से 25 जुलाई 2019 तक मामले में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई वादकार गोपाल सिंह विशारद की अर्जी पर की। उन्होंने अयोध्या मसले को मध्यस्थ्ता समिति की बजाए कोर्ट में लाने का आग्रह किया था।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्ष्ता में तीन सदस्यीय समिति को सर्वमान्य हल खोजने के लिए सौंप दिया था। समिति में धार्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और मध्यस्थता विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल हैं।