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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में आज (गुरूवार) सपा और बसपा सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर सदन से बहिर्गमन किया। शून्यकाल के दौरान सपा सदस्यों ने कार्यस्थगन की सूचना के जरिये प्रदेश में शिक्षकों के समायोजन का मामला उठाया। सपा सदस्यों ने कहा कि पिछली सपा सरकार ने 12 हजार 460 बीटीसी शिक्षकों तथा चार हजार उर्दू मुअल्लिम शिक्षकों के समायोजन के लिये भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो करायी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव आचार संहिता लग जाने के कारण परिणाम घोषित नहीं हो सका था। सपा सदस्यों ने कहा कि बाद में प्रदेश में, भाजपा की सरकार आ जाने पर परिणाम रोक दिया गया। इससे बेजार टीईटी शिक्षकों तथा उर्दू मोअल्लिम शिक्षकों ने अपने समायोजन के लिये अनेक बार धरना-प्रदर्शन किया लेकिन वर्तमान सरकार की दमनकारी और शिक्षा विरोधी नीति के कारण उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस विषय पर सदन का बाकी काम रोककर चर्चा करायी जाए। नेता सदन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने शिक्षकों के समायोजन में जानबूझकर त्रुटि की। शायद सपा सरकार की मंशा रही कि इसमें अपनी तरफ से कमी रख दो और बाद में अदालत उस पर रोक लगा देगी।

उच्चतम न्यायालय ने इसी कमी को उजागर किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षामित्र से सरकार अपील करती है कि वह संयम और धैर्य बनाएं और सरकार उनकी बातों को सुनकर विधिसम्मत कार्रवाई करके उनके हितों को संरक्षित करने का प्रयास करेगी। शर्मा ने कहा कि सपा सदस्यों ने जो विषय उठाया है, उसके प्रकरण में आख्या उपलब्ध कराने के लिये निदेशक :बेसिकः एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद (इलाहाबाद) को निर्देश दिये गये हैं। रिपोर्ट मिलने के बाद हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे। नेता विपक्ष अहमद हसन ने नेता सदन के आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा कि भाजपा सरकार भ्रम पैदा करती है। नेता सदन ने शिक्षामित्रों तथा प्रश्नगत मसले को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। हम इनके जवाब से अंतुष्ट हैं। इसके बाद सपा सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। इसके बाद बसपा ने कार्यस्थगन की सूचना के जरिये बाराबंकी जिले में गत दो जुलाई को एक लड़की से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात का मामला उठाया और आरोप लगाया कि पुलिस इस मामले के दोषी लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इस पर नेता सदन शर्मा ने कहा कि बाराबंकी के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने टीम बनाकर मामले की जांच करायी है। दोनों को कड़ी कार्रवाई के लिये निर्देश दिये गये हैं। सदन में बसपा के नेता सुनील चित्तौड़ ने कहा कि सरकार मानवीय भावनाओं से काम नहीं कर रही है। इसके बाद बसपा के सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। बाद में, सपा सदस्यों ने कार्यस्थगन की सूचना पर 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने का मुद्दा उठाया। सपा सदस्य राजपाल कश्यप ने सूचना की ग्राह्यता पर बल देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सपा सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों- राजभर, निषाद, प्रजापति, मल्लाह, कहार, कश्यप, कुम्हार, धीमर, बिन्द, भर, केवट, धीवर, बाथम, मछुआ, मांझी, तुरहा तथा गौड़ को अनुसूचित जातियों में शामिल करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित कराने के बाद केन्द्र के पास भेजा था। लेकिन वहां की भाजपा सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 22 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था लेकिन अब इसे अदालती उलझावे में डाला जा रहा है। नेता सदन दिनेश शर्मा ने कहा कि अगर 17 पिछड़ी जातियों को लेकर सपा इतनी ही चिंतित थी तो वह केन्द्र की पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार को समर्थन देते वक्त इन जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की शर्त रखती। नेता विपक्ष अहमद हसन ने कहा कि वह सरकार के इस जवाब से असंतुष्ट हैं। इसके बाद सभी सपा सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये।

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