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लखनऊ: राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। कानून-व्यवस्था को सुधारने का संकल्प होना चाहिए। ऐसा संकल्प नई सरकार में दिखाई दे रहा है। योगी आदित्यनाथ की सरकार कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए प्रयासरत भी है। राज्यपाल शनिवार को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर राजभवन में वर्ष 2016-17 की रिपोर्ट पेश कर रहे थे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की सरकार में तुलना ठीक नहीं है। क्योंकि वह सरकार भी मेरी थी और यह सरकार भी मेरी है। किसी सरकार को नंबर देने का काम जनता चुनाव में करती है। यह बात दीगर है कि अखिलेश और योगी आदित्य नाथ दोनों से ही मेरे व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं। नाईक ने कहा हालांकि योगी सरकार ने सौ दिन के अपने कामकाज को जनता के बीच रखकर जवाबदेही की एक अच्छी परंपरा शुरू की है। विधानसभा के अंदर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराहट के सवाल पर उन्होंने कहा कि सदन के अंदर उनकी भूमिका ज्यादा नहीं है लेकिन विपक्ष को अपनी बात कहने और सरकार को अपना काम करने का मौका मिलना ही चाहिए। दोनों को मिलकर काम करना चाहिए। सदन में चर्चा के बिना मजा नहीं आएगा। टोकाटाकी भी करनी चाहिए।

संविधान के तहत विरोध स्वरूप वाकआउट करना ठीक है, लेकिन पूरे सत्र का बायकाट करना ठीक नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि मेरी राय रही है कि छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए। हालांकि कुछ कुलपतियों ने कहा कि इससे अशांति पैदा होती है। कुछ जगह कानूनी कठिनाई लेकिन छात्रसंघ चुनाव कराने को व्यवहार में लाने की कोशिश करेंगे और जहां कठिनाई होगी वहां संबंधित मंत्री से बात करके दूर करेंगे। नाईक ने कहा कि पूर्व सरकार में लोकायुक्त की रिपोर्ट धूल खाती रहती थी या लाइब्रेरी की शोभा बनती थी, लेकिन अब नई सरकार ने इन रिपोर्टों पर कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है। यह कमेटी महीने में एक बार समीक्षा करेगी और तीन माह में मुख्यमंत्री स्वयं समीक्षा करेंगे। सांसद व विधायक निधि में भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए। वर्तमान सरकार ने इसके लिए कदम उठाया है कि विधायक काम कराने के लिए केवल सुझाव देंगे, ठेकेदार तय नहीं करेंगे। यह काम डीएम के जरिए सरकार करेगी। यही व्यवस्था महाराष्ट्र में भी है। कुलपतियों की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि हालांकि नियुक्ति के समय हमने सारी बातों का ख्याल रखा, लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए वे कुछ नहीं बोलेंगे। अपने वकील के जरिए अपनी बात कोर्ट में रखेंगे।

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