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मुजफ्फरनगर: खतौली के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में मासिक धर्म की जांच के लिए छात्राओं के कपड़े उतरवाने के मामले की मजिस्ट्रेट जांच पूरी होने के बाद बीएसए ने विद्यालय के 9 शिक्षिकाओं को बर्खास्त कर दिया है। साथ ही सभी की संविदा भी खत्म कर दी गई है। सेवा समाप्त होते ही शिक्षिकाओं में हड़कंप मच गया है। तत्कालीन डीएम ने विद्यालय की वार्डन को तत्काल बर्खास्त कर दिया था और इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। मुजफ्फरनगर के खतौली तहसील के तिगई गांव के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में गत 25 मार्च को वार्डन सुलेखा ने माहवारी की जांच करने के लिए स्कूल की छात्राओं के कपड़े उतरवाए थे। इसके बाद छात्राओं के परिजनों ने स्कूल में आकर हंगामा किया था। मामले की गंभीरता को देख तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने विद्यालय की वार्डन को बर्खास्त कर दिया था और पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी गई थी। जांच में पूरे स्टाफ को दोषी पाया गया है। इसके तहत टीचर, अकाउंटेंट, चौकीदार और रसोइया समेत 9 लोगों के स्कूल स्टाफ की संविदा खत्म कर दी गई है। ये कार्रवाई नियमित और संविदा पर कार्य कर रहे सभी लोगों पर की गई है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा परमानेंट स्टाफ को पत्र भेजकर सूचित किया गया है। पत्र में लिखा है कि, मजिस्ट्रेट जांच में दोषी पाए जाने पर आपकी सुविधाएं समाप्त की जा रही हैं। जबकि पार्टटाइम स्टाफ को ये सूचना अभी फोन पर ही दी गई है। इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रकेश यादव ने बताया कि इस विद्यालय के सारे स्टाफ की सुविधा खत्म कर दी गई है। गौरतलब है कि स्कूल के वार्डन ने स्कूल में पढ़ने वाली 70 लड़कियों को अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था। वार्डन ने ऐसा लड़कियों को होने वाले मासिक धर्म को देखने के लिए किया था।

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