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अहमदाबाद: कांग्रेस के सहयोगी माने जाने वाले जदयू और एनसीपी ने शुक्रवार को एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एलान किया कि गुजरात में वे गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगे। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस को अगर इस गठबंधन का हिस्सा बनना होगा तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। जदयू के केसी त्यागी ने स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि जदयू ने बिहार में बड़ा दिल दिखाया था। वैसा ही बड़ा दिल गुजरात में कांग्रेस को दिखाना होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस पार्टी के पास पांच विधायक थे। जदयू ने फिर भी कांग्रेस को 40 विधानसभा की सीट दीं और आज उनकी संख्या 28 है। ऐसा बड़ा दिल भी दिखाना पड़ता है बड़े गठबंधन के लिए। गुजरात में एनसीपी पहले से ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी करती नजर आ रही है। गुजरात में मौजूदा विधानसभा में एनसीपी के दो विधायक हैं और जदयू का एक विधायक है। एनसीपी ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन में अब तक बेईमानी करती रही है। ऐसे में वे गठबंधन के बिना भी लड़ने को तैयार हैं। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि 2012 के विधानसभा चुनावों में एनसीपी केवल नौ सीटों पर मान गई थी जबकि उस समय भी उनकी हैसियत नौ से ज्यादा सीटों की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि नौ सीटें देने के बाद भी आखिरी दिन कांग्रेस ने उन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए और उन्हें मेंडेट भी दे दिए। इस बार वे इसलिए स्पष्ट और बड़ा हिस्सा चाहते हैं।

हालांकि जानकारों में यह चर्चा है कि इस गठबंधन से गुजरात में कांग्रेस के वोट बंट सकते हैं और पहले से मजबूत भाजपा को फायदा पहुंच सकता है। कांग्रेस के नेता संभावित नुकसान से बचने के लिए इन पार्टियों से चर्चा की तैयारी कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस के लिए गुजरात में चुनावों से पहले ही चुनौतियां बहुत हैं।

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