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रांची: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन देने को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पार्टी असमंजस की स्थिति में है। मुर्मू को समर्थन दिया जाए या नहीं, इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची स्थित अपने आवास पर विधायक दल की बैठक भी की। इस बैठक में दिसोम गुरु शिबू समेत तमाम बड़े नेता मौजूद थे। कई घंटे तक चली बैठक के बाद भी मुर्मू को समर्थन देने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका।

विधायक दल की बैठक के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन के साथ सभी परिस्थितियों पर चर्चा हुई, अभी राष्ट्रपति चुनाव होने में समय है, ऐसे में हम उचित समय आने पर इसका निर्णय लेंगे। फैसला वही लिया जाएगा जो राज्य और देशहित में होगा। उन्होंने दिल्ली में अमित शाह से मिलने जाने के सवाल पर कहा कोई अभी किसी से मिलने नहीं जा रहा है। परिस्थिति के अनुसार सभी चीजें सामने आएगी।

बता दें कि एनडीए की द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को ही राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन किया है। इस दौरान उनके साथ पीएम मोदी समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद भवन परिसर स्थित राज्यसभा महासचिव के कार्यालय में निर्वाचन अधिकारी पी.सी. मोदी को मुर्मू का नामांकन पत्र सौंपा था। मुर्मू के साथ नामांकन दाखिल करने के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे.पी. नड्डा, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सहयोगी दलों के नेता मौजूद थे।

इधर, केंन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडो की ‘जेड' श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी थी। मालूम हो कि नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई तक शपथ लेना है। ऐसे में आइये चुनाव से पहले समझते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन-कौन इसमें मतदान करते हैं, मतों की गिनती कैसे होती है और प्रत्याशी रेस से बाहर कैसे हो जाते हैं।

उपराष्ट्रपति को जहां लोकसभा और राज्यसभा के इलेक्टेड एमपी चुनते हैं, वहीं राष्ट्रपति को इलेक्टोरल कॉलेज चुनता है जिसमें लोकसभा, राज्यसभा और अलग अलग राज्यों के विधायक होते हैं। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव यही इलेक्टोरल कॉलेज करता है, जिसमें इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातित होता है। यहां पर उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, पर उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है। इस प्रक्रिया को ऐसे आसानी से समझा जा सकता है।

भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्य और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद अपने वोट के माध्यम से करते हैं। उल्लेखनीय है कि सांविधानिक ताकत का प्रयोग कर जिन सांसदों को राष्ट्रपति नामित करते हैं वे सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं। इसके अलावा भारत में 9 राज्यों में विधानपरिषद भी हैं। इन विधान परिषद के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में मत का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। यहां से यह स्पष्ट है कि राष्ट्रपति का चयन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही करते हैं। इसलिए राष्ट्रपति परोक्ष रूप से जनता द्वारा ही चयनित होता है।

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