पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वर्ष 2021 की जनगणना जाति आधार पर होनी चाहिए। किस जाति के लोगों की संख्या कितनी है, यह मालूम होना चाहिए। देश में आबादी के अनुरूप आरक्षण का प्रावधान हो, इससे अच्छी कोई बात नहीं होगी। मुख्यमंत्री सोमवार को एक अणे मार्ग में लोकसंवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1931 के बाद जाति आधारित जनगणना देश में नहीं हुई है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और धर्म के आधार पर जनगणना हुई है। इसी तर्ज पर सभी जातियों की जनगणना 2021 में होनी चाहिए।
जनगणना के समय ही लोगों से उनकी जाति पूछकर उसका जिक्र कर देना चाहिए। इससे सभी जाति के लोगों की वास्तविक संख्या का पता चल जाएगा। पिछड़ी जाति के लिए निर्धारित 27 फीसदी के आरक्षण के दायरे को इनके संगठनों द्वारा बढ़ाने की मांग को मुख्यमंत्री ने सही बताया। कहा कि अनुसूचित जाति हो या पिछड़ी जाति, इनमें सभी तबकों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए आरक्षण से वंचित रह जाने वाले लोगों द्वारा आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने की मांग उठाई जाती है। यह उचित भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग तो सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश से बाउंड है, जिसमें कहा गया है कि आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। इस दायरे को बढ़ाने पर देश में विचार होना चाहिए।
बिहार में मिलेगा गरीब सवर्णों को आरक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की तर्ज पर बिहार सरकार की सेवाओं में भी गरीब सवर्णों को दस फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। इसको लेकर राज्य सरकार कानूनी सलाह ले रही है। गरीब सवर्णों के आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान कर दिया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग को मिले आरक्षण के अतिरिक्त गरीब सवर्णोँ को आरक्षण दिया जाएगा। उक्त जातियों के लिए निर्धारित आरक्षणों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान संशोधन के माध्यम से गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया गया है। राज्य में इसे लागू करने के लिए कोई एक्ट बनाना होगा या एक्सक्यूटिव ऑर्डर से यह हो जाएगा। इन मसलों पर विचार चल रहा है।