ताज़ा खबरें
राहुल गांधी ने दिल्ली 'एम्स' का किया दौरा, मरीजों के परिजनों से मिले
दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के चौथे चरण के तहत लगाए गए प्रतिबंध हटाए गए
स्टार्टआप के नाम पर सिर्फ खोखली नारेबाजी-जोरदार प्रचार हुआ: खड़गे
सरकारी कर्मचारियों का इंतजार खत्म, आठवें वेतन आयोग को मिली मंजूरी
दिल्ली: कांग्रेस देगी-300 यूनिट बिजली, 500 में सिलेंडर, राशन किट फ्री

चेन्नई: तमिलनाडु राजभवन ने विधानसभा के हालिया सत्र को संबोधित न करने के राज्यपाल आरएन रवि के फैसले को सीएम एमके स्टालिन द्वारा ‘‘बचकाना'' बताए जाने की आलोचना करते हुए रविवार को कहा, ‘इस तरह का अहंकार ठीक नहीं हैै।'

अपने अभिभाषण की शुरुआत में राष्ट्रगान नहीं गाए जाने के विरोध में राज्यपाल द्वारा 6 जनवरी को विधानसभा से बहिर्गमन करने के बाद से तमिलनाडु की द्रमुक सरकार और राजभवन में तीखी नोकझोंक हो रही है। तमिलनाडु विधानसभा में परंपरा के अनुसार, सदन की बैठक शुरू होने पर राज्यगान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और अंत में राष्ट्रगान गाया जाता है। हालांकि, राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताई है और कहा है कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए।

राजभवन ने राज्यपाल के वॉकआउट के बाद एक बयान में कहा, "आज तमिलनाडु विधानसभा में एक बार फिर भारत के संविधान और राष्ट्रगान का अपमान किया गया। राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे संविधान में निहित पहला मौलिक कर्तव्य है।

इसे सभी राज्य विधानसभाओं में शुरुआत और अंत में गाया जाता है। आज सदन में राज्यपाल के आगमन पर केवल तमिल थाई वल्थु गाया गया। राज्यपाल ने सम्मानपूर्वक सदन को उसके संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाई और माननीय मुख्यमंत्री से गायन के लिए उत्साहपूर्वक अपील की, जो सदन के नेता हैं। हालांकि, उन्होंने जिद्दी होकर मना कर दिया। संविधान और राष्ट्रगान के प्रति इस तरह के निर्लज्ज अनादर में शामिल न होकर राज्यपाल सदन से चले गए।''

इसके तुरंत बाद, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्यपाल ने विधानसभा की परंपरा का उल्लंघन करने की परंपरा बना ली है और उनके कार्यों को "बचकाना" कहा। उन्होंने लिखा, "संविधान के अनुसार, राज्य के राज्यपाल द्वारा वर्ष की शुरुआत में सरकार का अभिभाषण पढ़ना विधायी लोकतंत्र की परंपरा है! उन्होंने इसका उल्लंघन करना अपनी परंपरा बना ली है। यह बचकानी बात है कि वो इस बार इसे पढ़े बिना चले गए।''

बचकाना क्यों कहा?

डीएमके प्रमुख ने कल सदन में कहा, ''राज्यपाल विधानसभा में आते हैं, लेकिन सदन को संबोधित किए बिना लौट जाते हैं। इसीलिए मैंने कहा था कि उनकी हरकतें बचकानी थीं। मुझे लगता है कि राज्यपाल इस तथ्य को पचाने में असमर्थ हैं कि तमिलनाडु विकास कर रहा है. मैं एक सामान्य व्यक्ति हो सकता हूं, लेकिन यह विधानसभा करोड़ों लोगों की भावनाओं के कारण अस्तित्व में आई है। ऐसी चीजें दोबारा नहीं देखने को मिलेंगी।''

कब से है विवाद?

पलटवार करते हुए, राजभवन के आधिकारिक हैंडल ने आज एक्स पर पोस्ट किया, "थिरु@एमकेस्टालिन का दावा है कि राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान और संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों को निभाने पर जोर देना "बेतुका" और "बचकाना" है। इस तरह का अहंकार अच्छा नहीं है। कृपया यह न भूलें कि भारत सर्वोच्च माता है और संविधान उसके बच्चों के लिए सर्वोच्च आस्था है। वे इस तरह के बेशर्म अपमान को पसंद या बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

राज्यपाल रवि और एमके स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही खराब रिश्ते रहे हैं। डीएमके सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार का विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गया है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख