ताज़ा खबरें
केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
गौतम अडानी पर रिश्वत देने, धोखाधड़ी के आरोप, यूएस में मामला दर्ज

नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि राज्य में बीते कई सालों से जबरन धर्मांतरण की कोई घटना नहीं हुई है। नागरिकों के पास वो धर्म चुनने की आजादी है, जिसका वह पालन करना चाहते हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में जबरन धर्मांतरण हो रहा है। इस याचिका के जवाब में तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर उक्त बात कही है।

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि 'भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 हर नागरिक को उसके धर्म का पालन करने का अधिकार सुनिश्चित करता है। हालांकि मिशनरीज द्वारा अपने धर्म का प्रचार कानून के खिलाफ नहीं है लेकिन अगर वह गलत तरीके से अपने धर्म का प्रचार करते हैं, सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और संविधान के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं तो यह गंभीर मुद्दा है। जहां तक तमिलनाडु की बात है, वहां बीते कई सालों से जबरन धर्म परिवर्तन की एक भी घटना नहीं हुई है।'

सीबीआई जांच की मांग

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने कहा कि 'धर्मांतरण विरोधी कानूनों का अल्पसंख्यकों के खिलाफ दुरुपयोग होने का खतरा है। देश के नागरिकों को स्वतंत्र रूप से अपना धर्म चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए और यह ठीक नहीं है कि सरकार उनकी व्यक्तिगत आस्था और निजता पर सवाल उठाए।' बता दें कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर तमिलनाडु में जबरन धर्मांतरण के आरोप लगाए थे। साथ ही सीबीआई से इसकी जांच कराने की मांग की थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख