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फरीदकोट: पंजाब के एक पूर्व पुलिस अधिकारी चरणजीत सिंह शर्मा को 2015 के फरीदकोट में बेहबल कलान पुलिस फायरिंग के मामले में रविवार को गिरफ्तार किया गया हैं। इस फायरिंग में दो लोग मारे गए थे। चरणजीत को पंजाब पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने होशियारपुर में उनके आवास से करीब 150 किलोमीटर दूर गिरफ्तार किया। अब उनसे अमृतसर में पूछताछ चल रही है।

इनका नाम मामले में नामजद किया गया था, लेकिन वे कई बार समन भेजे जाने के बाद भी पेश नहीं हो रहे थे। फिर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया और तीनों अफसरों को पूछताछ के लिए 29 जनवरी को पेश होने को कहा। इस पेशी से पहले ही पुलिस ने पूर्व एसएसपी को उठा लिया। मामले में नामजद अधिकारियों में शामिल तत्कालीन एसएसपी मोगा चरनजीत शर्मा, एसपी फाजिल्का बिक्रमजीत सिंह और एसएचओ बाजाखाना अमरजीत कुलार शामिल हैं।

 

ये है मामला

बता दें कि 12 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट जिले के बरगाड़ी गांव में श्री गुरुग्रंथ साहिब के अंग फाड़कर गलियों में फेंक दिए गए थे। इसके विरोध में सिखों ने विरोध प्रदर्शन किया। 14 अक्टूबर, 2015 को कोटकपूरा के बहिबलकलां में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी। इस फायरिंग में दो युवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद बादल सरकार ने जस्टिस जोरा सिंह आयोग का गठन किया, लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। फिर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले की जांच के लिए 11 सितंबर 2018 को जस्टिस रंजीत सिंह आयोग बनाया।

आयोग ने 16 अगस्त 2018 को अपनी रिपोर्ट को मुख्यमंत्री के हवाले कर दिया था, जिसे 27 अगस्त 2018 को विधानसभा में पेश कर दिया गया। एसआईटी को बहिबल कलां व कोटकपूरा की घटनाओं से संबंधित चार एफआईआर की जांच सौंपी गई थी, जिनमें से बहिबल कलां गोलीकांड के संदर्भ में थाना बाजाखाना की एफआईआर नंबर 129 व 130 शामिल है।

14 अक्टूबर 2015 को दर्ज एफआईआर नंबर 129 में पुलिस ने 600 अज्ञात प्रदर्शनकारियों को इरादा ए कत्ल के आरोप में शामिल किया था, जबकि 21 अक्टूबर 2015 को दर्ज एफआईआर नंबर 130 में तत्कालीन एसआईटी प्रमुख की शिकायत पर हत्या के आरोप में कार्रवाई की गई थी। इसमें एसएसपी मोगा चरनजीत शर्मा समेत चार पुलिस अधिकारियों को नामजद किया, जिसके बाद उक्त अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी, पर राहत नहीं मिली।

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