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कोलकाता: मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल से कहा कि वे मामले से संबंधित सभी स्वत: संज्ञान के मामलों के दस्तावेज पेश करें। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई चाहे तो बुधवार दोपहर 2.30 बजे तक इस मामले में दस्तावेज पेश कर सकता है।  
 
कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि एनएचआरसी पर पक्षपाती होने का आरोप राज्य सरकार लगा रही है और उसका यह भी कहना है कि कोई हिंसा हुई ही नहीं है। जबकि हिंसा हुई। ऐसे में इस मामले को स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए।

23 जुलाई को हुई सुनवाई में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए 26 जुलाई तक का समय दिया था। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को हुई थी। 

पांच जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव बाद हिंसा पर हाई कोर्ट को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में अनेक विसंगतियां हैं।

रिपोर्ट में चुनाव के पहले हिंसा की घटनाओं का जिक्र किया गया है। सिंघवी ने कहा कि एनएचआरसी जैसे संस्थान से ऐसी उम्मीद नहीं थी। राज्य सरकार भी हिंसा के मामलों में जिला स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी गई अंतिम जांच रिपोर्ट में राज्य प्रशासन की कड़ी आलोचना की गई है। 13 जुलाई को एनएचआरसी ने 2021 के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद राज्य में हिंसा के आरोपों की जांच करते हुए हाईकोर्ट को 50 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें आयोग ने कहा था कि राज्य में कानून का शासन नहीं बल्कि शासक का कानून है। 

 

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