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कोलकाता: वामपंथी दलों और कांग्रेस ने आईएसएफ को गठबंधन में शामिल करने का मुद्दा सुलझने के बाद पश्चिम बंगाल में अपने प्रचार अभियान के आगाज की तैयारी कर ली है। रविवार को यह गठबंधन कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में विशाल रैली के जरिये आगामी विधानसभा चुनावों के लिए हुंकार भरेगा। पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वामपंथी मोर्चे और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर पहले ही समझौता हो चुका था। इसके बाद वामपंथी मोर्चे और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की तरफ से नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के बीच भी 30 सीटों के लिए सहमति बनाई जा चुकी है।

कांग्रेस और आईएसएफ के बीच कुछ सीटों को लेकर मतभेद हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों ही पक्ष जल्द ही आपस में सहमति बना लेंगे। इसी कारण चुनावी तारीखें तय होने के साथ ही प्रचार अभियान को भी तेजी देने की तैयारी कर ली गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य के मुताबिक, बिग्रेड मैदान पर विशाल रैली हमारे विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत होगी।

उन्होंने कहा, हम लोगों को टीएमसी और भाजपा की जनविरोधी व धार्मिक राजनीति का विकल्प उपलब्ध कराना चाहते हैं।

प्रदीप के मुताबिक, रैली में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, आईएसएफ अध्यक्ष सिद्दीकी मुख्य वक्ता रहेंगे, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी रैली में शिरकत करेंगे।

राहुल-प्रियंका ने बंगाल पर दी केरल को तरजीह

सूत्रों के मुताबिक, राज्य कांग्रेस और वामपंथी मोर्चे के आग्रह के बावजूद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा कोलकाता की रैली में नहीं दिखेंगे। दोनों की मौजूदगी से गठबंधन के अभियान को बेहद तेजी मिलती। लेकिन सूत्रों का कहना है कि राहुल-प्रियंका ने बंगाल के बजाय केरल को ज्यादा तरजीह दी है, जहां कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ मौजूदा सत्ताधारी एलडीएफ के सामने सीधे टक्कर में है।

आईएसएफ का जुड़ाव पलट सकता है खेल

वाम-कांग्रेस गठबंधन का मत प्रतिशत बंगाल में भाजपा के उभार के बाद बेहद कम हुआ है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आईएसएफ के साथ इन दोनों दलों का गठबंधन खेल पलटने वाला साबित हो सकता है।

आईएसएफ की स्थापना पिछले महीने बंगाली मुस्लिमों में सबसे ज्यादा पवित्र मानी जाने वाली दरगाह फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने की थी। पहले उनकी गठबंधन के लिए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ बात चल रही थी, लेकिन उन्होंने अचानक चुनावी तारीख घोषित होने से पहले वाम-कांग्रेस गठबंधन का दामन थाम लिया।

बंगाल में कुल जनसंख्या का 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जो 100 से 110 सीटों पर निर्णायक असर रखती है। बंगाल में 2016 विधानसभा चुनाव में वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 77 सीट जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने से दोनों दल अलग हो गए थे। इसका नुकसान दोनों ही दलों को उठाना पड़ा था।

इसके चलते ही दोनों दल एक बार फिर साथ आए हैं। ऐसे में मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की हैसियत रखने वाले आईएसएफ का भी साथ जुड़ना कांग्रेस-वाम गठबंधन को लाभ दे सकता है।

 

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