नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि इसमें कोई शक नहीं कि राम सेतु इंजीनियरिंग का चमत्कार है। जिसे प्राचीन भारतीयों ने बनाया था। ताकि भारत और श्रीलंका को जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि हिमालय, जैसे नीलकंठ (शिवा) विकसित देशों से आई प्रदूषित हवा को अवशोषित कर भारत की रक्षा करता है। पोखरियाल ने ये बात मंगलवार को आईआईटी खड़गपुर के कॉन्वोकेशन कार्यक्रम में कही।
उन्होंने युवाओं को देश के अतीत पर अनुसंधान करने और उस ज्ञान को लोगों के भले के लिए इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) से फंड देेने की बात भी कही। कॉन्वोकेशन में छात्रों को संबोधित करते हुए पोखरियाल ने दावा किया कि, "क्या कोई असहमति है कि हमारे इंजीनियरों ने राम सेतु का निर्माण किया था? इसे बनाने के लिए कोई अमेरिका, ब्रिटेन या फिर जर्मनी से नहीं आया था।" उन्होंने कहा, "ठीक है? सही है? बताइए ना, आप चुप क्यों हैं?" उनके ऐसा कहने के बाद वहां मौजूद लोगों ने हल्की तालियां बजाईं।
फिर मंत्री ने कहा, "जब भी हम अपने अतीत की बात करतें हैं तो कुछ लोग हमपर हंसते हैं। ये चीजें सच हैं।"
निशंक ने कहा कि भारत सदियों से ज्ञान से लेकर विज्ञान तक का वैश्विक नेता रहा है। उन्होंने दावा किया कि दुनिया की पहली भाषा संस्कृत है। उन्होंने कहा, ‘जब हम पीछे देखते हैं तो याद करते हैं कि हमारे इंजीनियरों ने कैसे राम सेतु बनाया था और हमारे भावी इंजीनियरों को इस पर गहन अध्ययन करना चाहिए।’
बता दें कि भारतीय पुराणों में उल्लेख है कि भगवान राम की वानर सेना ने समुद्र पार करके लंका जाने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था। जब निशंक से बाद में संवाददाता सम्मेलन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के इस रुख के बारे में पूछा गया कि यह साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि राम सेतु मानव निर्मित सेतु है। इस पर एचआरडी मंत्री ने कहा, ‘मेरा आशय है कि नया अनुसंधान होना चाहिए और राम सेतु के बारे में अध्ययन होना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा था कि हमारे युवा इंजीनियरों की भावी पीढ़ी को राम सेतु जैसे ऐतिहासिक चमत्कारों के बारे में नये निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए नए अनुसंधान करने चाहिए ताकि हमारे गौरवपूर्ण स्मारकों के बारे में नये सत्य खोजे जाएं। जिससे दुनिया को एक बार फिर इस बारे में बताया जा सके कि सदियों पहले हमने किस किस का निर्माण किया था।’
पोखरियाल ने कहा, "हम पेड़ों को भगवान मानते हैं और गंगा नदी को मां। हिमालय आज भी नीलकंठ के रूप में खड़ा है, जैसे शंकर भगवान, जो विकसित देशों से आई सारी प्रदूषित हवा को अवशोषित करता है।"