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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

कोलकाता: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि वह बंगाल में जान बूझकर दो संप्रदायों के बीच विभाजन की रेखा खींच रही हैं। विसर्जन पर जबरन रोक लगाने की बात करके ममता बनर्जी ने राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन कलकत्ता हाइकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि हिंदू पंचांग के मुताबिक सभी दिन विसर्जन होगा और पुलिस को उसकी सुरक्षा का जिम्मा लेना होगा।

लेकिन ममता बनर्जी इस फैसले को लेकर कोर्ट की अवमानना कर रही हैं। अगर उनमें दम है, तो वह शस्त्र जुलूस पर रोक लगायें. उनका इशारा मुहर्रम के जुलूस को लेकर था। उन्होंने साफ कहा कि दुर्गा पूजा में शस्त्र पूजा का विधान है, क्योंकि कई जगहों पर पहले बलि दी जाती थी। लेकिन आज प्रतीक के तौर पर कहीं कुम्हड़ा तो कहीं खीरा की बलि दी जाती है। उसके लिए शस्त्र पूजा का विधान है।

लेकिन ममता बनर्जी सब कुछ अपने राजनीतिक नजरिये से देखती हैं और एक फरमान सुना देती हैं। अब सवाल उठता है कि शस्त्र जुलूस पर रोक लगाती हैं, तो क्या उनके अंदर दम है कि वह मुहर्रम में निकलने वाले जुलूस में शस्त्र लेकर निकलने पर रोक लगा रही हैं।

उन्होंने कहा कि दरअसल ममता बनर्जी खुद को संविधान और कोर्ट से मानती है। यही वजह है कि वह हिंदुओं के लिए नये-नये फरमान सुनाती हैं, ताकि मुस्लिम खुश रहें। यही हाल रहा, तो आनेवाले दिनों में वह कहेंगी कि पुष्पांजलि के लिए अनुमति लेनी होगी।

इसके बाद देवी के दसों हाथ में हथियार नहीं होना चाहिए उसके लिए अनुमति लो. फिर कहेंगी कमल फूल से पूजा नहीं करनी होगी, यानी सबकुछ उनकी मर्जी से होगा. उन्होंने कहा कि धार्मिक कर्मकांडों को राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह का फरमान वह बार-बार दे रही हैं, जिसका लोगों में गलत असर जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई पूजा आयोजक एकादशी के दिन विसर्जन करना चाहे, तो वह कर सकता है। भाजपा इस मामले में कहीं नहीं है। अगर उन्हें रोका गया, तो उसका जवाब सही जगह से उन्हें मिलेगा، क्योंकि भारत में अभी भी संविधान और अदालत सक्रिय हैं।

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