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पटना: जातीय जनगणना को लेकर बिहार में राजनीति गरमा रही है। विपक्षी दलों के साथ ही भाजपा को छोड़ एनडीए में शामिल सभी दल इसे लेकर दबाव बना रहे हैं। राजद सात अगस्त को मंडल दिवस के अवसर पर इसे लेकर धरना प्रदर्शन की तैयारी कर चुकी है। ऐसे में नीतीश कुमार ने भी बड़ा दांव चल दिया है। गुरुवार को नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि जाति आधारित जनगणना के लिए प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा। हमने प्रधानमंत्री को पत्र भेज दिया है। समय मिलने के बाद मिलेंगे। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि हमारी पार्टी के सांसदों ने जातीय जनगणना कराने के लिए लिखकर दिया है। गृहमंत्री अमित शाह से भी सांसदों ने बात की है।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार से कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस पर बात करें। बिहार का प्रतिनिधिमंडल जातीय जनगणना कराने की मांग करने के लिए पीएम मोदी से बात करे। 30 जुलाई को बिहार विधान सभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन जाति जनगणना के मसले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी।

विधानसभा स्थित सीएम कक्ष में मुख्यमंत्री नीतीश और महागठबंधन के सभी दलों के नेताओं के साथ मीटिंग में तेजस्वी ने मांग की कि बिहार की ओर से केंद्र सरकार पर यह दबाव डाला जाए कि सरकार जातीय जनगणना कराए।

तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश ने आश्वासन दिया है कि जब वे दिल्ली से लौटेंगे उसके बाद 2 अगस्त को प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय मांगेंगे और पत्र भी लिखेंगे। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कहा कि जाति जनगणना को लेकर बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मति से सब दलों ने इस पर प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव केंद्र को भेजा लेकिन इस पर काम नहीं हुआ। तेजस्वी और नीतीश दोनों की ओर से इस मुद्दे पर मुखर होने से लगता है कि जातीय जनगणना का मामला अब ठंडे बस्ते में नहीं पड़ने वाला। इसे लेकर अब बड़ी सियासत की तैयारी शुरू हो चुकी है।

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