पटना: बिहार में कोरोना जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को लेकर मीडिया रिपोर्ट के बाद विपक्ष नीतीश सरकार पर हमलावर हो गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आनन फानन में जमुई के सिविल सर्जन समेत चार कर्मियों के सस्पेंड और छह कर्मियों की बर्खास्ती को महज दिखा बताया। तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि अरबों का कोरोना घोटाला सामने आने के बाद नीतीश जी दिखावटी तौर पर जैसा कि पूर्व के 61 घोटालों में करते आए हैं छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का नाटक रच, धन उगाही कर जेडीयू को चुनावी चंदा देने वाले उच्च अधिकारियों को बचायेंगे। यही नीतीश कुमार की स्थापित नीति, नीयत और नियम है।
इससे पहले तेजस्वी ने लगातार दो ट्वीट करते हुए कहा कि था कि बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जनदबाव में नीतीश जी ने विपदा के बीच ही आँकड़ों की बाज़ीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपने जाँचे-परखे आँकड़ों की बाज़ीगिरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त किया।
उसके बाद अगले 3 दिनों में ही टेस्टिंग की संख्या दुगनी हो गई और लगभग 15 दिनों में यह संख्या एक लाख और 25 दिनों में दो लाख तक पहुँच गई। उसी स्वास्थ्य संरचना से मात्र एक महीने से भी कम समय में यह प्रतिदिन जाँच का आँकड़ा इतना गुणा कैसे बढ़ गया? सारा माजरा आँकड़ों के अमृत मंथन का है।
कांग्रेस ने जांच की मांग
उधर कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्र ने राज्य में कोरोना जांच रिपोर्ट में हुए कथित फर्जीवाड़े को चिंताजनक बताया और पूरे मामले की जांच की मांग की। कहा कि इस मामले को आगामी बजट सत्र के दौरान वे विधान परिषद में उठाएंगे। शुक्रवार को जारी बयान में श्री मिश्र ने कहा कि आरंभ से ही हमलोग कहते रहे हैं कि कोविड की जांच धीमी है तथा इसमें गड़बड़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना जांच अचानक बढ़ जाना चकित करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री से इस मामले में तत्काल स्थिति स्पष्ट करने तथा दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाई करने की मांग की।
जाप ने कहा जांच के नाम पर राशि की बंदरबाट हुई
कोरोना जांच में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद जन अधिकारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह कुशवाहा ने आरोप लगाया कि जांच के नाम पर राशि की की बंदरबांट हुई है। उन्होंने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को इस बाबत पत्र भी लिखा है। वहीं राज्य सराकर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई और मामले की जांच की मांग की है। शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लिए मास्क, सैनेटाइजर, पीपीई किट, जांच किट और इलाज आदि कई मदों में हुई खरीद में अनियमितता हुई है। कहा कि इस मामले को लेकर वे हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर करेंगे। महासचिव प्रेमचंद सिंह व राजेश रंजन ‘पप्पू’ ने कहा कि संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों और किसान आंदोलन के शहीदों की श्रद्धांजलि के लिए कैंडल मार्च निकाला जाएगा।
मुख्मयमंत्री ने कहा, 22 जिलों की जांच पूरी, जहां मामला प्रकाश में आया हुई कार्रवाई
फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलास हुआ हुआ है। गड़बड़ी सामने आने के बाद बिहार में हडकंप मच गया है। विपक्षीदल इसे मुद्दा बना रहे हैं वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी आनन-फानन में कार्रवाई करते हुए जहां जमुई में सिविल सर्जन समेत 4 कर्मियों को सस्पेंड कर दिया है वहीं छह कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। मामले में मुख्यमंत्री नीतीश ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बिहार में कोरोना जांच फर्जीवाड़े को लेकर कहा कि प्रधान सचिव ने उन्हें बताया है कि 22 जिलों की जांच पूरी कर ली गई है। एक जगह पर इस तरह का मामला प्रकाश में आया है, जिस पर तत्काल कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसी बात है कि किसी की जांच नहीं की और लिख दिया कि जांच हुई तो यह गलत बात होगी। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी। अब हम पटना आ गए हैं इस पर और विस्तृत जानकारी लेंगे। यह भी कहा कि शुरू से ही कोरोना संक्रमण की प्रतिदिन रिपोर्ट उनके पास आती है। कितनी जांच हुई, कहां क्या स्थिति है, सब मेरे पास आता है। केंद्र सरकार को भी जांच रिपोर्ट भेजी गई है।