नई दिल्ली/पटना: दिल्ली से बिहार भेजे गए 1200 प्रवासी मजदूरों के रेल किराये को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में जुबानी जंग शुरू हो गई है। दिल्ली में फंसे 1200 प्रवासी मजदूर शुक्रवार को विशेष रेल से मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हुए। दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया देने से इंकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने ट्वीट करते हुए मुजफ्फरपुर रवाना हुई ट्रेन का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार सरकार ने 1200 प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया देने से इंकार कर दिया है और अब पूरा खर्च अरविंद केजरीवाल सरकार वहन करेगी।
दिल्ली सरकार के इस बयान पर बिहार ने पलटवार किया है। जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने छह मई को दिल्ली सरकार के नोडल अधिकारी पीके गुप्ता द्वारा बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को लिखी गई चिट्ठी को सार्वजनिक किया है। चिट्ठी में नोडल अधिकारी पीके गुप्ता ने लिखा है कि 1200 प्रवासी मजदूरों के दिल्ली से मुजफ्फरपुर यात्रा का खर्चा जो तकरीबन 6.5 लाख होगा वह तत्काल दिल्ली सरकार वहन करेगी और बाद में इस रकम का भुगतान बिहार सरकार दिल्ली सरकार को करेगी।
बिहार के मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि मैंने दिल्ली के एक मंत्री के ट्वीट को देखा कि वे उन 1200 प्रवासियों के रेल टिकट का भुगतान कर रहे हैं जो दिल्ली से मुजफ्फरपुर की यात्रा कर रहे हैं। मेरे पास दिल्ली सरकार द्वारा बिहार सरकार से धन की प्रतिपूर्ति के लिए भेजा गया पत्र है। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ आप यह कहते हुए क्रेडिट ले रहे हैं कि आप प्रवासी मजदूरों को अपने पैसे पर वापस भेज रहे हैं और दूसरी तरफ बिहार से पैसे वापस करने के लिए भी कह रहे हैं। ये कैसी राजनीति है।
दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि प्रवासी मजदूरों से पैसा लेना उचित नहीं है, वे पिछले दो महीनों से आश्रय गृहों में रह रहे हैं। टिकटों के भुगतान के लिए उनके पास पैसे कहां से मिलेंगे, इसलिए दिल्ली सरकार ने इसके लिए भुगतान किया। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। दोनों सरकार प्रवासी मजदूरों के रेल किराया वहन करने का दावा कर रही हैं। दिल्ली सरकार के द्वारा लिखे पत्र से यह साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने बिहार सरकार से 6.5 लाख अदायगी करने के लिए कहा है।