पटना: लाल मुनी चौबे के निधन से सियासी गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद समेत राज्य के सभी प्रमुख राजनेताओं ने गहरा शोक जताया है। नेताओं ने कहा है कि स्व. चौबे राजनीति के फकीर थे और उनके निधन से देश ने और खासकर बिहार ने एक बड़ा नेता खो दिया है। प्रतिपक्ष के नेता डा. प्रेम कुमार ने कहा कि स्व. चौबे ने सदा सकारात्मक राजनीति की। उनके निधन से देश के साथ ही बिहार ने एक उम्दा राजनेता खो दिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि़ बिहार ने एक सच्चा राजनेता और प्रतिबद्ध भाजपा नेता को खो दिया है। सादगीपूर्ण और बेदाग राजनीतिक जीवन के लिए श्री चौबे सदा याद किए जाएंगे। उनके निधन से भाजपा को अपूरणीय क्षति हुई है। शोक संदेश में केन्द्रीय राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि लाल मुनी चौबे के रूप में बिहार ने एक सच्चा राजनेता खो दिया है। केन्द्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने स्व. चौबे के निधन को राजनीति के लिए एक अपूरनीय क्षति बताया। बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे ने कहा कि बिहार ने एक बड़ा नेता खो दिया है।
विधान पार्षद संजय मयूख, जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, संजय सिंह आदि ने भी गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। सन् 2014 में भाजपा ने उनकी जगह अश्विनी कुमार चौबे को बक्सर से प्रत्याशी बनाया। हालांकि पार्टी के इस फैसले के खिलाफ पहले स्व. चौबे ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी, बाद में पीएम पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी के मनाने पर वे मान गए थे। पूर्व सांसद का अंतिम संस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। बीते दो दिन पहले उनके ज्येष्ठ पुत्र हेमंत चौबे दिल्ली से कुरई लौटे थे। हेमंत रुंधे गले से कहते हैं कि हमें नहीं मालूम था कि अंतिम समय में मैं पिता के साथ नहीं रहूंगा। बक्सर से लगातार तीन बार सांसद के रूप में चुनाव जीत कर पूर्व सांसद लालमु़नि चौबे ने हैट्रिक बनाते हुए इस संसदीय क्षेत्र के इतिहास को भी बदल डाला था। वे पहली बार 1996 में बक्सर संसदीय क्षेत्र से सांसद बन कर भाजपा का भगवा पहली बार फहराया था। इसके बाद वे लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत कर हैट्रिक बनाते हुए इस क्षेत्र में दो बार से अधिक बार चुनाव नहीं जीत पाने के चले आ रहे इतिहास को भी बदल डाला था। इससे पहले इस संसदीय क्षेत्र से महाराज कमल सिंह, प्रो. केके तिवारी व भाकपा नेता तेजनारायण सिंह को दो बार सांसद बनने का अवसर मिल चुका था लेकिन तीसरी बार इनमें से किसी को भी जीत नसीब नहीं हो सकी थी। इसके बाद से ही यह मान्यता चली आ रही थी कि बक्सर से किसी को तीसरी बार जीत का अवसर नहीं मिल पाता है। लेकिन 1996, 1998 फिर 1999 के चुनाव में लगातार तीन बार लालमुनि ने विजय पताका लहरायी।