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भोपाल: मध्यप्रदेश में भारी बारिश कहर बनकर आई है। इसने जनजीवन की रफ्तार को थाम दिया है और बारिश पूर्व की जाने वाली तैयारियों की भी कलई खोल दी है। गांवों से लेकर शहर की गलियां तक जलमग्न हो गई हैं। राज्य में मानसून पूरी तरह सक्रिय है और उसने आधे से ज्यादा हिस्से को पूरी तरह तरबतर कर दिया है। मौसम विभाग के आंकडे़ बताते हैं कि राज्य के 51 में से 30 जिले ऐसे हैं, जहां औसत से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। वहीं 18 जिलों में सामान्य बारिश हुई है, महज तीन जिले ही ऐसे हैं, जहां औसत से कम बारिश हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सभी बांधों का जलस्तर फुल टैंक लेवल को पार कर गया है और सभी प्रमुख नदियां नर्मदा, बेतवा, केन, टमस, टॉस, चंबल, पार्वती आदि खतरे के निशान के आसपास बह रही है, जिसके चलते नदियों के तट पर बसे गांव और नगरी में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। भारी बारिश ने सबसे ज्यादा तबाही विंध्य के रीवा व सतना और बुंदेलखंड के पन्ना, सागर व छतरपुर में मचाई है, जिससे इन स्थानों पर राहत व बचाव कार्य के लिए सेना और हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अफसरों को बाढ़ के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह सजग रहने के निर्देश लगातार दे रहे हैं। वे कई बार बैठकें कर चुके हैं, मगर जमीनी स्तर पर ऐसा अब तक तो नजर नहीं आया है कि बाढ़ से निपटने में प्रशासनिक अमले ने खास सक्रियता दिखाई हो। यही कारण है कि एक पखवाडे़ पहले सतना में तबाही मची थी, तो अब एक बार फिर वैसे ही हालात है।

गांव और शहर के गलियों में पानी भरने पर नाव चलाने की नौबत आई। राज्य में महज 24 घंटों में ही 17 लोगों की मौत हो गई है और इस वर्ष बारिश से अब तक होने वाली मौतों का आंकड़ा 50 के पार पहुंच चुका है। वहीं कई लोग ऐसे भी है जो पानी में बह गए हैं, जिनका अब तक कोई अतापता नहीं है। वहीं बाढ़ की जद में आए 140 गांव के छह हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक अनुपम काश्यपी के मुताबिक, राज्य के 20 जिलों में अब भी भारी बारिश की संभावना है। वैसे तो बारिश के आसार राज्य के लगभग हर हिस्से में हैं। राज्य सरकार ने बारिश से पूर्व तमाम इंतजाम किए जाने के दावे किए थे, मगर भारी बारिश ने इन इंतजामों की कलई खोल कर रख दी है, तभी तो राजधानी भोपाल में जुलाई माह में एक दिन की ही बारिश ने निचली बस्तियों को जलमग्न कर दिया था, जिससे सरकार द्वारा राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के दावों पर भी सवाल खड़े हो गए थे। अब राज्य के अन्य जिलें बारिश से पनपी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बारिश के कारण जगह-जगह पुल-पुलिया ढह गई हैं, सड़कें कट गई हैं। नदियों का जलस्तर बढ़ने से आवागमन अवरुद्ध हो रहा है। रीवा, सतना, छतरपुर, सागर, पन्ना, कटनी, टीकमगढ़, विदिशा, रायसेन आदि जिलों का अपने नजदीकी जिलों से संपर्क कट गया है। एक तरफ जहां बारिश मुसीबत बनी हुई है, वहीं बारिश का दौर थमने के बाद बीमारियों की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि मुख्यमंत्री चौहान ने सरकारी मशीनरी को बीमारियों से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।

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