सिवनी: मध्य प्रदेश में स्थित पेंच राष्ट्रीय उद्यान की मशहूर ‘कॉलरवाली बाघिन’ अपने चार नए शावकों के साथ रविवार सुबह पर्यटकों को नजर आई। आठवीं बार बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है। सुपर मॉम के नाम से प्रसिद्ध ‘कॉलरवाली बाघिन’ इससे पहले सात बार मां बन चुकी है। सात बार में बाघिन ने कुल 26 शावकों को जन्म दिया था। आठवीं बार बाघ शावकों के जन्म के बाद बाघिन के कुल शावकों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र संचालक विक्रम सिंह परिहार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए रविवार को बताया कि ‘कॉलरवाली बाघिन’ ने चार नए शावकों को जन्म दिया है। बाघिन के साथ मांद से बाहर आए शावकों की उम्र लगभग एक माह होगी।
सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। पार्क प्रबंधन 24 घंटे बाघिन और शावकों की निगरानी व सुरक्षा कर रहा है। रविवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे सफारी के दौरान फायर लाइन के नजदीक सालई टेक वन क्षेत्र में अचानक बाघिन पर्यटकों के सामने आ गई। पर्यटकों ने ‘कॉलरवाली बाघिन’ को एक-एक कर अपने चारों को शावकों को मुंह में दबा कर सड़क पार करते हुए देखा।
बाघिन के इस बर्ताव ने पर्यटकों को हैरान कर दिया। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर ने बाघिन की दुर्लभ तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर लीं।
क्षेत्र में सफारी प्रतिबंधित की गई
परिहार ने बताया कि बाघिन और शावकों की सुरक्षा के मद्देनजर इस क्षेत्र में सफारी प्रतिबंधित कर दी गई है। पेंच प्रबंधन के पास मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक, ‘कॉलरवाली बाघिन’ (टी-15) का जन्म साल 2005 में हुआ था। 11 मार्च 2008 को सुरक्षा के लिहाज से बाघिन को रेडियो कॉलर लगाया गया था। तब से वह पर्यटकों में ‘कॉलरवाली बाघिन’ के नाम से मशहूर हो गई।
मध्यप्रदेश सरकार ने गुजरात के गिर से एशियाई शेरों को हासिल करने में केंद्र से मदद मांगी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस काम में पांच साल का विलंब हो चुका है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक पत्र लिखकर मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य के वन विभाग और देहरादून के भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) महसूस करते हैं कि शेरों के स्थानांतरण की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जा सकती है। पत्र में कहा गया कि ऐसे में शेरों को गुजरात से मध्यप्रदेश स्थानांतरित के लिए जरूरी निर्देश जारी करने का अनुरोध किया जाता है।