मुंबई: मालेगांव विस्फोटकांड के एक गवाह ने विशेष एनआईए कोर्ट खुलासा किया है कि महाराष्ट्र एटीएस ने उस पर योगी आदित्यनाथ सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच नेताओं को फंसाने का दबाव डाला। मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह उस समय एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर तैनात थे। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए इस गवाह का बयान एटीएस ने सीआरपीसी की धारा 161 के तहत उस समय दर्ज किया था, जब इस मामले की जांच एनआईए के हाथ में नहीं आई थी। इस मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने एक टेलीविजन चैनल को उक्त गवाह के खुलासे की जानकारी दी है।
कुलकर्णी के अनुसार उक्त गवाह ने कोर्ट को बताया है कि परमबीर सिंह एवं राव नामक एक अधिकारी ने उस पर दबाव डाला था कि वह इस मामले में योगी आदित्यनाथ सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चार अन्य नेताओं इंद्रेश कुमार, स्वामी असीमानंद, काका जी एवं देवधर जी का नाम लेने का दबाव बनाया था। उसे एटीएस के मुंबई एवं पुणे कार्यालयों में अवैध रूप से रोककर रखा गया, और धमकी दी गई कि यदि उसने ऐसा नहीं किया , तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा एवं अन्य आरोपियों की भांति ही बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
उक्त गवाह ने अपना पांच पृष्ठों का बयान एनआईए कोर्ट में दर्ज कराया है।
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए थे तथा 100 से अधिक घायल हुए थे। इस मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई थी। एटीएस ने इस मामले में भोपाल की वर्तमान सांसद साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टीनेंट कर्नल पुरोहित, समीर कुलकर्णी, अजय राहिलकर, रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी एवं सुधाकर चतुर्वेदी को आरोपी बनाया था। इन सभी पर हत्या, हत्या के प्रयास सहित आतंकवाद की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इन आरोपों में आरोपितों को आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है।
इस मामले में एटीएस ने करीब 220 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। इस मामले की जांच एनआईए के हाथ में आने के बाद अब तक उनमें से 15 गवाह अपने बयानों से मुकर चुके हैं। आरोपित साध्वी प्रज्ञा भी कई बार कह चुकी हैं कि एटीएस की हिरासत में उनपर असह्य जुल्म किए गए। वह अपने बयानों में खुलकर परमबीर सिंह का नाम ले चुकी हैं। फिलहाल परमबीर सिंह खुद संकट में घिरे नजर आ रहे हैं। उनपर महाराष्ट्र पुलिस द्वारा ही भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज कर उनकी जांच की जा रही है।