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मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में केन्द्र सरकार से जेट एयरवेज को बचाने की अपील की गई है। सामना ने लिखा है कि प्रधानमंत्री के मन में आया होता तो 'जेट' का सवाल आसानी से हल हो गया होता। वे कुछ भी कर सकते हैं। एयर इंडिया को बचाने के लिए करीब 21 हजार करोड़ का पैकेज सरकार ने दिया, क्योंकि वह राष्ट्रीय मतलब सरकारी कंपनी है। फिर जेट, किंगफिशर विदेशी कंपनियां नहीं हैं। वे भी स्वदेशी हैं। 'जेट' का कब्जा सरकार ले। कर्मचारियों की नौकरियां बचाओ, ऐसी हमारी मांग है।

बता दें, जेट एयरवेज पर 8500 करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। 16 अप्रैल से एयरलाइन का परिचालन बंद है। कंपनी के 22000 से ज्यादा कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। आगे लिखा गया है, पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी ने विमान कंपनियों तथा बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण क्यों किया? ये अब समझ में आया। उनकी दूरदृष्टि थी। प्रधानमंत्री मोदी जेट मामले में भी ऐसा करके दिखाएं। देशी उद्योगों को तोड़ना और विदेशी निवेश के लिए रेड कार्पेट बिछाना यह नीति राष्ट्रीय नहीं है। हमने कर्मचारियों की वेदना सरकार के सामने रखी है। उनके परिवार का श्राप मत लो।

सिर्फ साध्वी के श्राप में दम है, ऐसा नहीं बल्कि श्रम करने वाले खाली हाथ और भूखे पेटवालों का श्राप साध्वी से भी प्रखर है।'

फिलहाल इस लेख को देखकर तो यही लगता है कि शिवसेना जेट एयरवेज के समर्थन में उतरकर सामने आ गई है। इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि जेट का समर्थन करके शिवसेना ये दिखाने की कोशिश कर रही कि वो पहली राजनीतिक पार्टी है, जो जेट के कर्मचारियो की नौकरी के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग कर रही है।

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