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मुंबई: शिवसेना ने शनिवार को कहा कि पुलवामा हमले से उपजे हालात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए कश्मीर का मुद्दा प्राथमिक बन गया है। जबकि वह राम मंदिर मुद्दे को अस्थायी तौर पर किनारे रखने के पक्ष में है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों का प्रस्तावित महागठबंधन देश में स्थिरता और शांति नहीं ला सकता। इसलिए आरएसएस का नया रुख देश के लिए अनुकूल है। पार्टी ने पुलवामा आतंकी हमले जैसी घटनाएं रोकने के लिए देश में एक स्थिर सरकार की जरूरत बताई।

संपादकीय में शिवसेना ‘पहले मंदिर, फिर सरकार’ के अपने पुराने रुख से पलटती नजर आई। उसने कहा, भगवान से ज्यादा महत्वपूर्ण देश होता है। संघ परिवार ने राम मंदिर मुद्दे को किनारे रखकर पुलवामा और कश्मीर जैसे विषयों पर ध्यान देने का फैसला किया है। आरएसएस का मानना है कि कश्मीर की समस्याएं सुलझाने के लिए देश को एक मजबूत और स्थिर सरकार की जरूरत है। आतंकवाद को तब तक नहीं हराया जा सकता जब तक केंद्र में स्थिर सरकार और एक मजबूत प्रधानमंत्री नहीं होगा।

पार्टी ने एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया, आरएसएस अब चाहता है कि उसके स्वयंसेवक अयोध्या में राम मंदिर बनाने के बारे में बात करने की बजाय पुलवामा हमले के बारे में लोगों को जागरूक करें। दरअसल अब आरएसएस को लग रहा है कि लोगों का ध्यान राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे मुद्दों से हटाकर कश्मीर और पुलवामा जैसे मुद्दों और एक स्थिर सरकार चुनने की तरफ खींचा जा सकता है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा, केंद्र सरकार पिछले पांच साल में पाकिस्तान पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। कश्मीर के मौजूदा हालात पिछले 70 साल के पहले से भी ज्यादा खराब हैं। कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के बारे में तो भूल ही जाएं, आतंकवाद के कारण अब कश्मीर में रह रहे नौजवान भी रोजगार की तलाश में बाहर जाने लगे हैं।

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