मुंबई: चुनाव पूर्व समझौते के महज दो दिन बाद भाजपा और शिवसेना के वरिष्ठ मंत्रियों ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर अलग-अलग बातें कहीं। भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि (इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने के बाद) जिस सहयोगी दल को अधिक सीट आएंगी, उसे मुख्यमंत्री पद हासिल होगा। पाटिल के विचार को खारिज करते हुए शिवसेना के नेता रामदास कदम ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद साझा करने का समझौता होने के बाद उनकी पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है।
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा वादे को पूरा नहीं करना चाहती है तो वह चुनाव पूर्व गठबंधन को तुरंत तोड़ने के लिए स्वतंत्र है। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार की रात पार्टी कार्यकर्ताओं से अपने आवास पर कहा कि उन्होंने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया है कि जो पार्टी विधानसभा चुनावों में अधिक सीट जीतेगी उसे मुख्यमंत्री का पद हासिल होगा। ठाकरे ने कहा, पिछले 25 वर्षों में दोनों दलों (शिवसेना और भाजपा) ने इस फॉर्मूले को आजमाया। मैंने इसे खारिज कर दिया है। मैंने मांग की है कि दोनों दल सभी पदों को समान रूप से बांटें।
उन्होंने कहा, भाजपा इस पर सहमत हो गई है इसलिए मैंने गठबंधन करने का निर्णय किया है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के तालमेल में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को एक भी सीट नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए पार्टी के नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को कहा कि उनकी उपेक्षा की गई है और इस फैसले पर दोनों पार्टियों को पुनर्विचार करना चाहिए। एक सवाल में जवाब में उन्होंने यह कहा कि कांग्रेस और एनसीपी ने उनसे संपर्क किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भाजपा और शिवसेना उन्हें सीट नहीं देते हैं तो उनकी पार्टी को आगे की रणनीति पर विचार करना पड़ेगा। आठवले ने कहा, रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ने की घोषणा बहुत गंभीर बात है। मैं नाराज हूं। उन्होंने दलित समाज की उपेक्षा की है। उन्होंने कहा, मैंने खुद दक्षिण-मध्य मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है और दोनों दलों को मेरे लिए सीट छोड़नी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ जा सकते हैं तो आठवले ने कहा, हमारे पास बहुत रास्ते हैं। अगर ये लोग सीट नहीं देते हैं तो आगे क्या करना है, इस पर मेरी पार्टी विचार करेगी।