ताज़ा खबरें
संसद में अडानी और संभल पर हंगामा,दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित
किसान आंदोलन: एसकेएम नेता डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत मे लिया
कन्नौज में एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना, सैफई में तैनात पांच डॉक्टरों की मौत
दिल्ली-यूपी में बढ़ी ठंड, हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी; तमिलनाडु में तूफान

रालेगण सिद्धि: वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे 30 जनवरी से एक बार फिर लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ति की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू करेंगे। वह अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि में ये अनशन शुरू करेंगे। हाल ही में हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की थी। हजारे ने शनिवार को कहा,"लोकपाल कानून साल 2013 में बना। उसके बाद साल 2014 में भाजपा की सरकार आई। हमें लगा कि शायद कुछ होगा, लेकिन बीते पांच साले में इन्होंने कुछ नहीं किया। इसलिए मैंने ये तय किया है कि मैं 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि से भूख हड़ताल शुरू करूंगा।" लोकपाल और लोकायुक्त कानून की अनदेखी पर समाजसेवी अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

उन्होंने लिखा, आपने (पीएम मोदी) सत्ता के लिए सत्य को छोड़ दिया है। आपकी सरकार जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है। इसलिए वह रालेगण सिद्धि में 30 जनवरी से अनशन करेंगे। हजारे ने लिखा था, 'मोदी के सत्ता में आने से लगा देश को समाज सेवा करने वाला पीएम मिल गया। लेकिन पांच साल पूरे होने को आए लेकिन इसके बाद भी लोकायुक्त लोकपाल बिल को लेकर सरकार उदासीन है।

उसका रवैया ढुलमुल है। इसलिए अब से मैं मोदी सरकार को यह याद दिलाता रहूंगा कि उसने कहां-कहां सत्य छोड़ा है।' उन्होंने लिखा है लोकपाल लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण कानून पर अमल न करके सरकार ने बार-बार झूठ बोला है, जिसे वह सहन नहीं कर पा रहे हैं।

सांविधानिक संस्था के निर्णय का पालन नहीं

अन्ना का कहना ने कहा था कि स्वयं प्रधानमंत्री और उनकी सरकार सांविधानिक संस्थाओं के निर्णय का पालन नहीं कर रही है। इसे देख उन्हें लग रहा है देश के लोकतंत्र को बड़ा खतरा है। नेता विपक्ष है नहीं, कानूनविद् के नाम पर भी महज खानापूर्ति है। लोकपाल नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद सरकार की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। अन्ना ने नसीहत दी है कि जो सरकार सत्य को छोड़कर चलती है, जनता उसे आदर्श कैसे मानेगी।

राजनीतिक दल रहेंगे दूर

पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए अन्ना हजारे ने कहा है कि इस बार राजनीतिक दल उनके आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। लेकिन माना जा रहा है कि इस अनशन में योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण और कुमार विश्वास जैसे कुछ पुराने सहयोगी अपना समर्थन देने के लिए पहुंच सकते हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख