मुंबई: शिवसेना ने सोमवार को किसानों के आंदोलन को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोला और उस पर किसानों की एकता तोड़ने के लिये उनके बीच दरार डालने का आरोप लगाया। शिव सेना ने आरोप लगाया कि इससे पहले मराठा आंदोलन को कुचलने के लिये भी इसी प्रकार की कोशिश की गयी थी। पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में शिवसेना ने कहा, ‘‘यदि किसानों की मांगें स्वीकार की जातीं, तो वे फूलों से मुख्यमंत्री का स्वागत करते, लेकिन सरकार के कुछ लोगों ने सदाभाऊ खोट (कृषि राज्य मंत्री) को अपने साथ ले लिया और किसानों की एकता तोड़ने की कोशिश की।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘बांटो और राज करो की नीति अपनायी गयी है। जो लोग मुख्यमंत्री से बात करने के लिए उनके आवास ‘वर्षा’ गए थे, उन्हें यह जवाब देने की जरूरत है कि क्या किसानों की कोई मांग मानी गई।’’ महाराष्ट्र में किसानों ने फसल खराब होने की वजह से ऋण माफी तथा एमएसपी की गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए एक जून को आंदोलन शुरू किया था। शिवसेना ने सवाल किया, ‘‘मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋण माफी से 30 से 40 लाख किसानों को लाभ होगा। लेकिन क्या वह बताएंगे कि मराठवाड़ा के किसानों का क्या होगा जिनके पास दो हेक्टेयर से अधिक जमीन है और जो बारिश पर निर्भर करते हैं।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने उनकी मौत को अस्थायी तौर पर टालने की कोशिश की है. पहले किसानों को उनके आवास (वर्षा) बुलाया गया, वहां उन्हें अपमानित किया गया और अंत में कुछ भी नहीं दिया गया। सरकार पर किसानों का भरोसा नहीं रहा और उनकी हड़ताल जारी है।’’ शिवसेना ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसानों में दरार डाल कर अपनी सरकार अस्थायी तौर पर बचाने का एक मौका मिला। ‘‘लेकिन, क्या किसानों को उनकी उपज की गारंटी युक्त लागत मिलेगी। सदाभाऊ का मंत्री पद रहेगा लेकिन क्या किसानों के बुझे हुए गैस चूल्हे फिर से धधकेंगे।’’ पार्टी ने कहा कि हड़ताल तोड़ने की कोशिश भी सरकार की असफलता की ओर संकेत करती है। शिवसेना ने सवाल किया कि जयाजी सूर्यवंशी ने यह गारंटी दी है कि अगले चार माह तक किसान आत्महत्या नहीं करेंगे। सूर्यवंशी उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थी जिसने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर हड़ताल खत्म होने का ऐलान किया था। शुक्रवार की रात किसानों के नेताओं से बात करने के बाद मुख्यमंत्री ने शनिवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार कम जमीन वाले किसानों का कर्ज माफ करेगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से विदर्भ और मराठवाड़ा के ऐसे 80 फीसदी किसानों को लाभ होगा।