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मुंबई: भाजपा की अहम सहयोगी शिवसेना ने आज कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व संप्रग सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का सिर्फ ‘‘उद्घाटन करने या उनका नाम बदलने’’ का ही काम किया है और उसने अपने तीन साल के शासन में नोटबंदी को छोड़कर कुछ भी उपलब्धि हासिल नहीं की है। राजग सरकार की घटक शिवसेना ने यह भी सवाल उठाया कि उसके तीन साल पूरे होने पर मनाए गए जश्न में क्या वे आम आदमी और किसान भी शामिल थे, जो नोटबंदी की मार सबसे ज्यादा झेलने वाले लोगों में थे। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे एक संपादकीय में कहा गया कि नोटबंदी के अलावा सरकार ने कुछ भी नया नहीं किया। असम में भूपेन हजारिका ढोला-सदिया पुल और जम्मू-कश्मीर में चेनानी-नाशरी सुरंग का उदाहरण देते हुए संपादकीय में कहा गया, ‘‘कुछ अहम और बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत पिछली सरकार ने की थी और उनके उद्घाटन एवं नाम बदलने मात्र का काम पूरे जोर-शोर से किया गया।’’ पार्टी ने कहा कि बड़े नोटों को बंद कर देने के मोदी सरकार के ‘‘मजबूत एवं महत्वाकांक्षी’’ कदम ने औद्योगिक गतिविधियों में पंगुता ला दी और आईटी क्षेत्र में इससे बड़े स्तर पर रोजगार में कमी हुई। मराठी दैनिक ने कहा कि नोटबंदी किसानों के लिए एक झटका साबित हुई। उन्हें खरीफ के मौसम से पहले खेती के लिए रिण प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है।

नोटबंदी की घोषणा हुए छह माह से अधिक बीत चुके हैं। इस फैसले ने जिला सहकारी बैंकों को बुरी तरह प्रभावित किया. ये बैंक खेती से जुड़े रिणों का अहम स्रोत होते हैं। इसमें कहा गया कि सरकार शेयर बाजार के आंकड़े बढ़ने से खुश है लेकिन व्यथित किसानों और जिला सहकारी बैंकों की ‘तबाही’ से उस पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं देता। शिवसेना के मुखपत्र ने बड़े नोटों को बंद करने को लेकर रिजर्व बैंक पर भी निशाना साधा। शिवसेना ने सवाल उठाया, ‘‘किसानों की मेहनत की कमाई को कूड़ेदान में फेंक देने का अधिकार आरबीआई को किसने दिया?’’

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