मुंबई: बंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों के हड़ताली रेजिडेंट चिकित्सकों की खिंचाई करते हुए मंगलवार को कहा कि उनका व्यवहार ‘‘शर्मनाक’’ है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में चार हजार से अधिक रेजिडेंट चिकित्सक सोमवार (20 मार्च) से हड़ताल पर हैं। वे हाल में अपने साथियों पर रोगियों के रिश्तेदारों के हमले के विरोध में काम पर नहीं आ रहे हैं। चिकित्सक अस्पताल में अपने लिए बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ सामाजिक कार्यकर्ता अफाक मांडवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने उन्होंने आंदोलनरत चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘अगर आप (चिकित्सक) काम नहीं करना चाहते हैं तो इस्तीफा दे दीजिए। आप फैक्टरी के कामगार नहीं है कि इस तरह का प्रदर्शन करेंगे. आपके लिए शर्मनाक. चिकित्सक इस तरह से कैसे व्यवहार कर सकते हैं?’’ द महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने पीठ से कहा कि उसने हड़ताल का आह्वान नहीं किया है और इसने सभी चिकित्सकों से काम पर आने के लिए कहा है। याचिकाकर्ताओं के वकील दत्ता माने ने अदालत से कहा कि एमएआरडी ने पिछले वर्ष हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था कि भविष्य में वह हड़ताल का आह्वान नहीं करेगा या हड़ताल पर नहीं जाएगा और सभी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेगा।
अदालत ने कहा, ‘‘अगर यह मामला है तो हड़ताली चिकित्सकों ने अवमानना की है। संबंधित अस्पताल के प्रबंधन को उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।’’