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नई दिल्ली: बॉलीवुड में 'खल्लास गर्ल' के नाम से फेमस एक्ट्रेस ईशा कोप्पिकर ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में ईशा को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद थे। एक्ट्रेस ईशा कोप्पिकर को भाजपा की महिला ट्रांसपोर्ट विंग की कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

फिल्मी दुनिया में डेब्यू

ईशा ने साल 1998 में आई तमिल फिल्म 'चंद्रलेखा' से अपना डेब्यू किया था। इसी साल वे तमिल की 'काढ़ल कविताई' फिल्म करके चर्चा में आई, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।

कोलकाता: सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान का मानना है कि 21वीं सदी मानवता के लिए ‘सबसे बुरा’ समय है, एक ऐसा दौर है जहां लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे की हत्या कर रहे हैं। पद्म विभूषण से सम्मानित खान ने कहा, ‘‘हमें विश्व में शांति की जरुरत है लेकिन दुर्भाग्य से राजनीति अब धर्म पर आधारित हो गयी है, नेता अपने स्वार्थ की खातिर धर्म के इर्द-गिर्द राजनीति करते हैं। इसलिए यह न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ खान यहां टाटा स्टील कोलकाता साहित्य सम्मेलन में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी बहुत ही शांतिपूर्ण, सफल होनी चाहिए। लेकिन यह समय पूरी दुनिया के लिए खराब हो गया है। लोग सफर करने से डरते हैं और कोई सुरक्षा नहीं है। ’’ अपने पिता हाफिज अली खान के इन शब्दों ‘हम सभी के एक ही भगवान हैं और हम सभी एक ही नस्ल के हैं’, को याद करते हुए 73 वर्षीय सरोद वादक ने कहा, ‘‘काश, हर धर्मगुरु यह संदेश देते।’’

मुंबई: बंबई हाई कोर्ट ने ‘‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को गलत रूप से चित्रित किए जाने का दावा करते हुए वकील विवेक तांबले ने इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। लेकिन अदालत ने उन्हें कोई राहत देने से इंकार कर दिया। तांबले का दावा है कि वह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के परिवार में पांचवीं पीढ़ी के सदस्य हैं। तांबले ने इसी हफ्ते उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उनका दावा है कि कंगना रनौत अभिनीत इस फिल्म में कई ऐतिहासिक तथ्य गलत हैं।

याचिकाकर्ता के अनुसार फिल्म में बताया गया है कि झांसी की रानी का जन्म 1828 में हुआ था जबकि उनका जन्म वास्तव में 1835 में हुआ था। फिल्म के निर्माताओं ने याचिका का विरोध किया और कहा कि जन्म वर्ष इतिहासकारों ने बताया था। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के वकील अद्वैत सेठना ने मुख्य न्यायाधीश एन एच पाटिल और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की पीठ के समक्ष कहा कि बोर्ड की परीक्षण समिति ने फिल्म को प्रमाण पत्र देने से पहले उचित विचार किया था।

पुणे: जाने-माने पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रवाद या देशभक्ति ‘नारेबाजी’ करने या ‘असहमति’ जताने वालों से घृणा करने के बारे में नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली और समाज में बदलाव लाने के बारे में है। वह सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज द्वारा यहां आयोजित ‘फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स’ को संबोधित कर रहे थे। अख्तर ने कार्यक्रम में कहा, ‘‘आज हमने सामाजिक प्रतिबद्धता, असली राष्ट्रवाद जैसी कई चीजों को पीछे छोड़ दिया है--आज हम राष्ट्रवाद, देशभक्ति जैसे शब्द सुनते हैं--आज, भारत राष्ट्रवादियों और राष्ट्र विरोधियों के बीच बंटा हुआ और अगर आप किसी बात पर किसी से असहमत होते हैं तो आप राष्ट्र विरोधी हैं।’’

उन्होंने कहा कि देशभक्ति या राष्ट्रवाद की नारेबाजी और आपसे असहमत लोगों से घृणा करने के रूप में गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, राष्ट्रवाद या देशभक्ति नारेबाजी करने या आपसे असहमत लोगों से नफरत करने के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक जीवनशैली है।

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