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मुंबई: सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने शनिवार को कहा कि यह संस्था सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र देने के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वह भारत की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने के लिए भी जिम्मेदार है। निहलानी ‘लिप्सटिक अंडर माई बुर्का’ नामक फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इंकार करने के सेंसर बोर्ड के फैसले के संदर्भ में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘सेंसर बोर्ड सरकार का हिस्सा है और उसकी जिम्मेदारी सिर्फ फिल्मों को प्रमाणपत्र देने की नहीं है, बल्कि वह देश की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित रखने के लिए भी जिम्मेदार है। सेंसर बोर्ड जरूरी है ताकि लोगों के सामने सही ढंग की फिल्में जा सकें।’ निहलानी ने कहा, ‘जब तक मैं यहां हूं, तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी। हम दिशानिर्देशों का अनुसरण करेंगे। मैं अपने विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों का धन्यवाद करता हूं जो संजीदगी और ईमानदारी से सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि बोर्ड को फिल्म के शीर्षक से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन फिल्म में महिला सशक्तीकरण के विषय को जिस ढंग से दिखाया गया है, उससे आपत्ति है।

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