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रियो डि जिनेरियो: रियो पैरालिंपिक्स 2016 में भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। भारत के देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है। भालाफेंक खिलाड़ी देवेंद्र झझारिया आज इतिहास रचते हुए परालम्पिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए जिन्होंने अपना ही विश्व रिकार्ड तोड़कर रियो खेलों में पीला तमगा हासिल किया । छत्तीस बरस के झझारिया ने इससे पहले एथेंस ओलंपिक 2004 में स्वर्ण पदक जीता था । उन्होंने पुरूषों की एफ46 स्पर्धा में अपना ही विश्व रिकार्ड बेहतर किया । देवेंद्र का पिछला रिकार्ड 62.15 मीटर का था जो उन्होंने एथेंस ओलंपिक में बनाया था । उन्होंने यहां 63.97 मीटर का रिकार्ड बनाया । भारत के रिेंकू हुड्डा छह प्रयास में 54.39 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पांचवें स्थान पर रहे जबकि सुंदर सिंह गुर्जर ने भाग ही नहीं लिया । राजस्थान में जन्मे झझारिया ने आठ बरस की उम्र में अपना बायां हाथ गंवा दिया था जब पेड़ पर चढते हुए वह बिजली के तारों की चपेट में आ गए थे । इसके बावजूद खेल के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ । उन्होंने 2004 में अजरुन और 2012 में पद्मश्री पुरस्कार जीता । वह यह सम्मान पाने वाले पहले परालम्पियन बने । अंतरराष्ट्रीय परालम्पिक समिति की एथलेटिक्स विश्व चैम्पियनशिप : लियोन , 2013 : में स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र ने आखिरी बार 12 साल पहले ही परालम्पिक में भाग लिया था क्योंकि 2008 और 2012 में एफ46 वर्ग खेलों में नहीं था ।

फिलहाल विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर काबिज देवेंद्र के इस पदक के साथ रियो ओलंपिक में भारत के दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक हो गए हैं । थंगावेलू मरियाप्पन ने पुरूषों की उंची कूद में स्वर्ण पदक जीता था जबकि वरूण भाटी ने इसी स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया था । बाद में दीपा मलिक ने महिलाओं के शाटपुट में रजत पदक जीता ।

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