सिडनी: वनडे सीरीज में हार के बाद टी-20 सीरीज अपने नाम कर चुकी टीम इंडिया अब ऑस्ट्रेलिया का सूपड़ा साफ करने की तैयारी में है। सिडनी में होने वाले आखिरी मैच को जीतकर टीम इंडिया वर्ल्डकप की अपनी दावेदारी और मजबूत करना चाहेगी। पहले दो मैचों में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। टॉप ऑर्डर अच्छे फॉर्म में हैं। रोहित, शिखर और विराट तीनों ने तेजी से रन बनाए हैं। वहीं सुरेश रैना भी एक अच्छी पारी खेलकर फॉर्म वापसी के संकेत दे चुके हैं। हालांकि अभी युवराज सिंह को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला है। भारत ने शानदार वापसी करते हुए टी-20 सीरीज के पहले दो मैचों मे एडिलेड और मेलबर्न में जीत के साथ सीरीज में 2-0 की निर्णायक बढ़त बना ली है। मौजूदा दौरे पर भारत ने युवाओं को अच्छे मौके दिए हैं। 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी और 2019 विश्व कप को देखते हुए गुरकीरत मान, हार्दिक पंड्या, ऋषि धवन, जसप्रीत बुमराह और बरिंदर सरन का खेल टीम के लिये काफी महत्वपूर्ण होगा।
युवराज सिंह और सुरेश रैना की टीम में भूमिका भी अहम हो गई है। धोनी कह चुके हैं कि अगर पार्ट टाइम गेंदबाज एक ओवर भी फेंकते हैं तो गेंदबाजी आक्रमण के ऊपर से दबाव कम होगा फिर यह ओवर अच्छा हो या बुरा। शुक्रवार को युवराज ने जिस तरह दो ओवर फेंके अगर कोई पार्टटाइम गेंदबाज वैसा प्रदर्शन करता है तो यह बोनस की तरह है। इन दोनों की मौजूदगी ने टीम को संतुलित किया है और भारतीय टीम टी-20 प्रारूप के अनुकूल नजर आ रही है विशेषकर अपने विरोधी को देखते हुए। यह वनडे सीरीज के उलट है जहां ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम मैच से पूर्व तक हर मैच में हर विभाग में दबदबा बनाया था। भारत शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए दौरे के अंतिम मैच में इसी एकादश को एक और मौका देना चाहेगा। धोनी एमसीजी में मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह चुके हैं कि भारतीय ड्रेसिंग रूम को देखते हुए प्रयोग शब्द सटीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वह विभिन्न हालात में अलग खिलाड़ियों को खिलाते लेकिन मौजूदा स्थिति ऐसे किसी फेरबदल की स्वीकृति नहीं देती। इसे देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि भारत पहले दो टी20 मैच के गेंदबाजी आक्रमण के साथ ही उतरेगा लेकिन देखना यह होगा कि युवराज और पांड्या को बल्लेबाजी का मौका मिलता है या नहीं। युवराज गेंद से अपनी प्रतिभा पहले ही दिखा चुके हैं लेकिन टीम प्रबंधन बल्ले से उनकी फॉर्म को लेकर चिंतित है। शीर्ष क्रम के शानदार फॉर्म में होने के कारण धोनी ने बड़े शॉट खेलने की जिम्मेदारी खुद उठाई है और ऐसे में युवराज की रन बनाने की क्षमता के दोबारा आकलन के लिए अधिक समय नहीं बचा है।