बेंगलुरु: रणजी ट्रॉफी 2021-22 का फाइनल मैच मुंबई और मध्यप्रदेश की टीम के बीच बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जा रहा है। चौथे दिन का खेल खत्म होने तक मध्यप्रदेश के पास 49 रन की बढ़त है। मुंबई ने दूसरी पारी में दो विकेट गंवाकर 113 रन बना लिए हैं। इस मैच में एक दिन का खेल बचा है और मुंबई के पास आठ विकेट हैं। अगर मुंबई को यह मैच जीतना है तो मध्यप्रदेश को मुश्किल लक्ष्य देकर दूसरी पारी में समेटना होगा। अगर यह मैच ड्रॉ होता है तो पहली पारी की बढ़त के आधार पर मध्यप्रदेश की टीम चैंपियन बन जाएगी।
मुंबई के 374 रन के जवाब में एमपी ने पहली पारी में 536 रन बनाये और चौथे दिन का खेल खत्म होने तक मुंबई ने दो विकेट पर 113 रन बना लिये हैं। चौथे दिन के नायक रजत पाटीदार रहे जो 219 गेंदों पर 122 रन बनाकर एमपी की ओर से शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गये। पाटीदार ने अपनी पारी में 20 चौके लगाये। इनसे पहले यश दूबे (133) और शुभम शर्मा (116) भी मध्य प्रदेश के लिये पहली पारी में शतक जड़ चुके थे।
मुंबई ने हालांकि एमपी की बढ़त को समाप्त करने की कोशिश में दूसरी पारी की शुरुआत तेजी से की। यशस्वी जायसवाल के चोटिल होने के कारण पृथ्वी शॉ के साथ विकेटकीपर हार्दिक तमोरे बल्लेबाजी करने उतरे। शुरुआती दस ओवरों में मुंबई ने 61 रन जोड़े, मगर 11वें ओवर की तीसरी गेंद पर कुमार कार्तिकेय ने तमोरे को बोल्ड किया। तमोरे ने 32 गेंद पर 25 रन बनाते हुए दो चौके और एक छक्का लगाया।
तमोरे के आउट होने के बाद क्रीज पर आये अरमान जाफर ने कप्तान शॉ के साथ पारी की रफ्तार को बरकरार रखने की कोशिश की, मगर मध्य प्रदेश के गेंदबाजों ने लगातार ऑफ-स्टंप के बाहर गेंदबाजी की और रनों पर लगाम कसी। अंतत:, शॉ के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने 16वें ओवर में गौरव यादव द्वारा दसवें स्टंप पर डाली गयी गेंद को पॉइंट पर खड़े दूबे के हाथों में थमा दिया।
शॉ (52 गेंद 44 रन) के आउट होने के बाद क्रीज पर सुवेद पार्कर आये जिन्होंने दिन का खेल खत्म होने तक नौ रन बनाए हैं जबकि जाफर 30 रन बनाकर खेल रहे हैं। मुंबई मैच में अब भी 49 रन से पीछे है। यदि यह मैच ड्रॉ होता है तो मध्य प्रदेश पहली पारी में ज्यादा रन बनाने के आधार पर अपनी पहली रणजी ट्रॉफी जीत लेगी।
मध्य प्रदेश के पास अभी भी पहली पारी के आधार पर बढ़त है, अगर पांचवें दिन कुछ बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो मध्य प्रदेश अपना पहला खिताब जीतने में सफल रहेगा। मध्य प्रदेश की टीम पिछली बार 1998-99 में रणजी फाइनल में पहुंची थी लेकिन तब उसे कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था।