लुईविले: बॉक्सिंग के महान खिलाड़ी और नागरिक अधिकारों की वकालत करने वाले ‘‘दि ग्रेटेस्ट’’ के नाम से मशहूर मुहम्मद अली को उनके गृह नगर लुईविले की सड़कों पर उतरे हजारों ने गुलाब के फूलों की बारिश कर उन्हें आखिरी विदाई दी। पर्किंसंस बीमारी से काफी लंबी लड़ाई के बाद 74 साल के अली ने पिछले हफ्ते आखिरी सांसें ली थीं। तीन बार हेवीवेट विश्व चैंपियन के विजेता रह चुके अली के लिए एक विशाल अंतिम यात्रा, उन्हें सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए एक निजी कार्यक्रम और सार्वजनिक स्मृति सभा के साथ उन्हें अंतिम विदाई के लिए किए जा रहे दो दिनों का कार्यक्रम संपन्न होगा। दो घंटे से भी ज्यादा समय तक अमेरिका के केंटकी प्रांत के इस शहर में अली की अंतिम यात्रा धीमी गति से बढ़ती रही । इस शहर की आबादी 600,000 लाख है । अली का जन्म 1942 में लुईविले में ही हुआ था। अली के मुरीद इस मौके पर तस्वीरें ले रहे थे, हंस-मुस्कुरा रहे थे और अली के नाम के नारे लगा रहे थे। लोगों ने अली का पार्थिव शरीर लेकर बढ़ रही गाड़ी पर लाल गुलाब के फूल बरसाए। अली के नाम की एक टी-शर्ट पहने टोया जॉनसन ने बताया, ‘बच्चे उन्हें प्यार करते हैं । इस पड़ोस में वह हमेशा उम्मीद के साथ रहे। नौजवानों के लिए वह एक मिसाल हैं।’
अली की अंतिम यात्रा में पूर्व दिग्गज मुक्केबाज माइक टाइसन और लिनोक्स लुईस के अलावा अभिनेता विल स्मिथ भी मौजूद रहे। इस दौरान अली के नौ बच्चे, उनकी पत्नी, दो पूर्व पत्नियां और परिवार के अन्य सदस्य भी इस काफिले के साथ थे। अंतिम यात्रा के दौरान उनके प्रशंसकों ने उनके पार्थिव शरीर पर फूल और गुलाब की पंखुड़ियां भी फेंकी। इस दौरान कुछ ‘अली’ चिल्ला रहे थे जबकि अन्य अपने चैम्पियन को जाते हुए देखकर गम में खामोश थे। बीसवीं सदी के सबसे आकषर्क और विवादास्पद खिलाड़ियों में शामिल अली का लंबे समय तक पर्किंन्सन बीमारी से जूझने के बाद पिछले शुक्रवार को 74 बरस की उम्र में निधन हो गया। गुरूवार को उनकी याद में पारंपरिक मुस्लिम रीति रिवाज से अंतिम संस्कार हुआ जिसमें दुनिया भर से उनके लगभग 6000 प्रशंसक पहुंचे। अली ने लगभग एक दशक पहले ही इस कब्रिस्तान को अपना अंतिम स्थल चुन लिया था। इस कब्रिस्तान में 130000 कब्र हैं जिसमें केंटुकी के जाने माने लोग भी शामिल हैं। केंटुकी फ्राइड चिकन (केएफसी) के संस्थापक कर्नल हारलैंड सेंडर्स की कब्र भी यहीं हैं। अली ने वर्षों पहले स्वयं फैसला किया था कि उनके अंतिम संस्कार को सिर्फ वीआईपी के लिए नहीं बल्कि आम प्रशंसकों के लिए भी खुला रखा जाए जिसके कारण हजारों मुफ्त टिकट बांटे गए जो कुछ ही घंटों में खत्म हो गए।