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नई दिल्ली: चैरिटी ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया के सबसे पांच अमीर लोगों की दौलत साल 2020 के बाद से अब तक बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह रिपोर्ट वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की दावोस में हुई बैठक के दौरान जारी हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के शीर्ष पांच अमीरों की कुल संपत्ति साल 2020 के बाद से अब तक 405 अरब डॉलर से बढ़कर 869 अरब डॉलर हो गई है। इन सबसे रईस लोगों की संपत्ति हर घंटे औसतन एक करोड़ 40 लाख डॉलर की दर से बढ़ी है। ऑक्सफैम का कहना है कि वहीं 2020 के बाद से अब तक पांच अरब लोगों की आमदनी घटी है और गरीबों की संख्या बढ़ी है।

हर अरबपति की संपत्ति औसतन 3.3 अरब डॉलर बढ़ी

इनइक्वलिटी इंक शीर्षक से सोमवार को यह रिपोर्ट फिर जारी की गई। इसमें बताया गया है कि अमीरों की संपत्ति साल 2020 के बाद से औसतन 3.3 अरब डॉलर तक बढ़ी है। गौर करने वाली बात ये है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात अच्छे नहीं हैं। कोरोना से भी दुनिया प्रभावित रही।

रिपोर्ट में दुनियाभर में बढ़ रही आर्थिक असमानता को लेकर चिंता जताई गई है। जिन अमीरों की संपत्ति तेजी से बढ़ी है, उनमें एलवीएमएच के चीफ बर्नार्ड अर्नोल्ट, अमेजन के चीफ जेफ बेजोस, निवेशक वारेन बफे, ओरेकल के सह-संस्थापक लैरी एलिसन और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क का नाम शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 229 सालों तक गरीबी को इस दुनिया से नहीं मिटाया जा सकेगा।

'बंटवारे के दशक की शुरुआत'

ऑक्सफैम इंटरनेशनल के अंतरिम एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ बेहर ने बताया कि हम बंटवारे के दशक की शुरुआत देख रहे हैं। अरबों लोग महामारी, आर्थिक बदहाली, महंगाई और युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं। वहीं अरबपतियों की संपत्ति में उछाल आ रहा है। यह असमानता अचानक से नहीं आई है। अरबपति लोग यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि मौजूदा व्यवस्था अन्य सभी की कीमत पर उन्हें ज्यादा फायदा पहुंचाए।

बेहर ने आरोप लगाए कि 'कॉरपोरेट का रवैया और एकाधिकारवादी शक्तियों की वजह से दुनिया में असमानता बढ़ रही है। कामगारों को दबाकर, टैक्स छूट का फायदा लेकर, सरकारी कंपनियों का निजीकरण करके, जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देकर अमीर लोग अपनी संपत्ति को बढ़ा रहे हैं। साथ ही वह सत्ता का दुरुपयोग भी करके हमारे अधिकारों, लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।'

सरकारों पर उठाया सवाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में निजी सेक्टर कम टैक्स दरों, व्यवस्था की खामियों और अपारदर्शिता को बढ़ावा दे रहे हैं। टैक्स को लेकर नीति निर्धारण में होने वाली लॉबिंग से टैक्स दरों को कम रखा जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, जबकि यही पैसा गरीबों के कल्याण पर खर्च हो सकता था। ऑक्सफैम ने बताया कि कॉरपोरेट टैक्स ओईसीडी देशों में साल 1948 में 48 प्रतिशत थे, जो 2022 में घटकर महज 23.1 प्रतिशत रह गए हैं। रिपोर्ट में अरबपतियों पर संपत्ति टैक्स लगाने का सुझाव दिया है, जिससे हर साल 1.8 खरब डॉलर सरकारों को मिल सकते हैं।

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