नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने मार्च 2024 तक कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है। इसके अलावा इनके आयात पर कृषि सेस भी नहीं लगेगा। सरकार का यह फैसला 24 मई की आधी रात से ही प्रभावी हो गया।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में प्रत्येक वर्ष 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने ट्वीट कर कहा है कि इस कदम से महंगाई पर अंकुश लगेगा और आम आदमी को राहत मिलेगी। भारत अपनी जरूरत का 60 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है। महंगाई में खाद्य तेल की प्रमुख भागीदारी है और पिछले तीन महीनों से खाद्य तेल के खुदरा दाम में 15 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब चीनी निर्यात को भी सीमित कर सकती है। चालू चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक 75 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है और इसे 100 लाख टन तक सीमित किया जा सकता है। अभी चीनी की खुदरा कीमत 41.50 रुपये प्रति किलोग्राम है जो अगले कुछ महीनों में 40-43 रुपये प्रति किलोग्राम तक रह सकती है। निर्यात बढ़ने पर इस कीमत में और इजाफा हो सकता है। खुदरा महंगाई को मापने में कपड़ों को भी शामिल किया जाता है, इसलिए कपड़ों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार काटन के आयात को शुल्क मुक्त कर सकती है ताकि घरेलू गारमेंट निर्माताओं को सस्ती दरों पर काटन यार्न मिल सके।
हाल में निर्यात बढ़ने के कारण काटन की कीमतें लगातार बढ़ी हैं। दो तिमाही पहले घरेलू बाजार में काटन की कीमत 55,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) थी, जो अभी 1.10 लाख रुपये प्रति कैंडी तक पहुंच गई है। काटन सप्लाई कम रहने पर यह कीमत 1.25 लाख रुपये प्रति कैंडी हो सकती है। टेक्सटाइल मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से काटन के आयात को शुल्क मुक्त करने की सिफारिश की है।
मई में सात फीसदी पर आ सकती है महंगाई दर
रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि शनिवार को पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती के साथ कई कच्चे माल के आयात शुल्क में कमी से मई में महंगाई दर घटकर सात फीसदी पर आ सकती है। अप्रैल की खुदरा महंगाई दर 7.78 फीसदी के साथ मई, 2014 के बाद अपने उच्चतम स्तर थी। अनुमान है कि जरूरी चीजों की कीमतें कम होने से गैरजरूरी चीजों की खपत में बढ़ोतरी होगी, जिससे मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ेगा। खुदरा महंगाई दर के पिछले चार महीनों से छह फीसदी से अधिक रहने से विकास दर के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि फिलहाल की महंगाई मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई चेन बाधित होने कारण बढ़ी हुई है।